जेजे एक्ट और अन्य तमाम कानूनों का उल्लघंन करने वाले सरकंडा थाना के TI सनीप रात्रे, महिला थाना टीआई अंजू चेलक, CSP निमिषा पांडे, महिला बाल विकास के अधिकारी पार्वती वर्मा और सुरेश सिंह के खिलाफ बिलासपुर के सकरी थाना की पुलिस FIR करने से बच रही है।
एचआईवी पॉजिटिव बच्चियों और मानवाधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला के साथ अमानवीय मारपीट की घटना को हुए आज 6 दिन हो रहे हैं लेकिन पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत पर अब तक FIR तक दर्ज नहीं की है।
यह वही सकरी पुलिस है जिसने घटना के दिन आरोपी पार्वती वर्मा की शिकायत पर पीड़ितों के खिलाफ तुरंत एफ आई आर दर्ज कर ली थी वह भी गैर जमानती धाराओं में और पीड़ितों का पक्ष सुनना भी इसने जरूरी नहीं समझा था लेकिन वहीं जब पीड़ित पक्ष अपनी FIR दर्ज कराना चाह रहा है तो यही सकरी पुलिस FIR लिख ही नहीं रही है।
मानव अधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला 20 तारीख यानी आज से 3 दिन पहले जब एफ आई आर दर्ज कराने सकरी थाना पहुंची तो सक्रिय थाने की पुलिस ने कहा कि पहले वह जांच करेगी फिर एफ आई आर दर्ज करें तो यह जांच उसने पार्वती वर्मा की शिकायत पर एफ आई आर दर्ज करने से पहले क्यों नहीं की क्या इसलिए कि वह अपने पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों को और सरकारी भ्रष्ट अधिकारियों को बचाना चाहती है।
पीड़ित अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने पुलिस को दिए अपने लिखित बयान में ये बात कही है कि सरकंडा थाना के TI सनिप रात्रे महिला बाल विकास के अधिकारी सुरेश सिंह ने उन्हें बुरी नीयत के साथ पकड़ा और उनके कपड़े उतारने की कोशिश करने लगे.
इस गंभीर अपराध के आरोपी सनिप रात्रे को बिलासपुर पुलिस बचाने की कोशिश कर रही है.

क्या ऐसे ही पक्षपात करना पुलिस का काम है
मामला संज्ञेय अपराधों का है और संज्ञेय अपराधों में तुरंत FIR दर्ज की जाती है उसके बाद उसकी जांच की जाती है। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने सकरी थाना स्टाफ से यह गुजारिश भी की थी कि ये संज्ञेय अपराध हैं उस पर तो पहले एफ आई आर दर्ज की जाती है तो सकरी पुलिस का यह बड़ा रूखा जवाब था कि “संज्ञेय असंज्ञेय हम देख लेंगे”
आज 3 दिन हो गए परंतु सकरी पुलिस अब तक संज्ञेय असंज्ञेय तय नहीं कर पाई है। पूरा पुलिस विभाग आरोपी पुलिस अधिकारियों को बचाने में लगा हुआ है।
मासूम बच्चियों को खूनाखून होते तक हैवानों की तरह पीटने वाले सरकंडा थाना के TI सनीप रात्रे, महिला थाना टीआई अंजू चेलक और CSP निमिषा पांडे को बचाने में लगी बिलासपुर पुलिस ने अपनी पूरी ईमेज रद्दी के ढेर में फेंक दी है।
बिलासपुर पुलिस में संगीन अपराधी प्रवृत्ति के अधिकारी भरे पड़े हैं। कोई पुलिस वाला पत्रकार की गाड़ी गाड़ी तोड़ रहा है, कोई पुलिस वाला महिला अधिवक्ता का हाथ तोड़ रहा है, कोई पुलिस वाला नाबालिग बच्चियों को जानवरों कि तरह पीट रहा है एक पुलिस वाले ने आदिवासी लड़की को 2 साल तक बंधक बनाकर रखा था।
बिलासपुर पुलिस के अधिकारी तमाम गंभीर अपराधों के आरोपी हैं लेकिन इन आरोपियों पर कार्रवाई करने की बजाए आला अधिकारी इन्हें बचाने में लगे हुए हैं। इसी को कहते हैं अंधेर नगरी चौपट राजा।