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लगभग 300 करोड़ से ज़्यादा का भुगतान लंबित, धमतरी के ठेकेदारों ने जल जीवन योजना का काम किया बन्द

धमतरी। लोक स्वस्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) के अंतर्गत आम जनता को सुगम और स्वच्छ जल आपूर्ति के लिए चल रही विभिन्न योजनाओं का काम इन दिनों ठप्प पड़ा हुआ है। PHE (धमतरी) को सेवाएं देने वाले लगभग 36 ठेकेदारों ने काम बंद करने का ऐलान किया है। ठेकेदारों का कहना है कि 400 करोड़ से ज़्यादा के बकाया बिलों का भुगतान अबतक नहीं गया है। ठेकेदारों ने बताया कि इस सम्बंध में प्रशासन के साथ लगातार पत्राचार किया जा रहा है लेकिन हमेशा ही फंड उपलब्ध न होने की बात कह दी जाती है।

कलेक्टर एवम् ज़िला दंडाधिकारी पदुम सिंह एल्मा द्वारा पत्र लिखकर जल जीवन मिशन योजना के संचालक तोपेश्वर वर्मा को भी इस बात की सूचना दी गई है कि बकाया बिलों का भुगतान न हो पाने के कारण जल जीवन मिशन योजना का काम बाधित हो रहा है।

ठेकेदारों ने आरोप लगाया है कि पिछले लगभग 2 महीनों से पूरे छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा ज़रूरी सेवाएं देने वाले ठेकेदारों के करोड़ों के बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। धमतरी क्षेत्र के ठेकेदारों ने इस संबंध में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को लिखित में आवेदन देकर काम बन्द करने और बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द करने का आग्रह किया है।

काम बन्दी का ऐलान करने वाले ठेकेदारों का कहना है कि सरकार ने जल आपूर्ति के लिए ख़र्च किए जाने वाले पैसों को दूसरे कार्यों में लगा दिया है जिसके कारण अब जल आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं की योजनाएं अधर में लटक गई हैं। जबकि छत्तीसगढ़ सरकार समय समय पर ये कहती रही है कि उसके पास फण्ड की कोई कमी नहीं है और पैसों की वजह से जनकल्यण के कार्य रोके नहीं जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में जल जीवन मिशन में एक हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। जल जीवन मिशन में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से कार्य कार्य करने की बात कही गई थी।

जानकार बताते हैं कि अगर इसी तरह काम बन्दी जारी रही तो पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा क्योंकि ये गर्मी का मौसम है और समय के साथ पानी की किल्लत बढ़ेगी, ऐसे में ज़रूरी है कि आम लोगों तक पानी पहुँचाने वाले कार्य सुचारु रूप से चलते रहें ऐसे में यदि ठेकेदारों ने ही काम बन्द कर दिया तो आम जनता को ख़ासी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, इन योजनाओं के रुक जाने से सरकार को राजस्व का भी नुकसान होगा और सरकार जल जीवन मिशन को पूर्ण करने की अपनी समय सीमा से भी पिछड़ जाएगी।

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