मध्यप्रदेश. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में 9 अगस्त 1942 को नारा दिया गया था कि अंग्रेजों भारत छोड़ो. 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर चुटका परमाणु परियोजना से प्रभावित आदिवासी समुदाय एवं अन्य परम्परागत निवासियों ने कंपनियां आदिवासी क्षेत्र छोड़ो का नारा दिया है. बरगी के बांध की त्रासदी झेल रहे महिला पुरुषों ने कहा कि बरगी बांध विस्थापितों का पुनर्वास करो और चुटका परियोजना रद्द करो. चुटका परमाणु परियोजना बरगी बांध के जलग्रहण क्षेत्र विस्थापित गांव में प्रस्तावित है.
ज्ञात हो कि भू अर्जन अधिनियम 1894 के माध्यम से मंडला कलेक्ट द्वारा 26 जुन 2012 को धारा 4 के अन्तर्गत भूमि अधिग्रहण के लिए ग्राम वासियो से सहमति मांगी गई थी। जिसका 25 जुलाई 2012 को लिखित में ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया. फिर भी धारा 6 का प्रकाशन कर 26 अगस्त 2013 को एसडीएम निवास द्वारा उन सभी काशतारो को धारा 7 की नोटिस भेजा गया जिनका भूमि अधिग्रहण होना था. इस नोटिस का भी सामूहिक और वयक्तिगत आपत्ति 10 सितम्बर 2013 को किया गया. आपत्ति में लिखा गया कि मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 में पांचवीं अनुसूची के तहत क्षेत्रों में 26 जनवरी 1977 के पश्चात आदिम जनजाति के सदस्यों की भूमि गैर आदिवासी वयक्ति के हित में अंतरण पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है.

विरोध प्रदर्शन में शामिल दादू लाल कुङापे और मीरा बाई मरावी ने बताया कि कलेक्टर को भी यह अधिकार नहीं है कि आदिम जनजाति के सदस्यों की भूमि के अंतरण की अनुमति प्रदान करे. परन्तु भू अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 17 के अर्जेंसी क्लाज के तहत कमिश्नर जबलपुर ने अनुमति प्रदान कर दी. यह आदिवासी क्षेत्रों में निवास कर रहे आदिवासी समुदाय के साथ अन्याय है, जहां उनके द्वारा लिए लिए गए निर्णयों का सम्मान नहीं किया गया है.
इसी प्रकार 12 दिसंबर 2017 को मंडला में आयोजित चेतावनी सभा कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्र की 101 ग्राम सभाओं ने प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को परियोजना पर पुनर्विचार हेतु ज्ञापन कलेक्टर मंडला के द्वारा भेजा था. परन्तु उक्त ज्ञापन का भी आज दिनांक तक कोई जबाब नहीं आया है.
क्या इसे न्याय का शासन कहा जा सकता है? इसलिए करोना संक्रमण की महामारी में विश्व आदिवासी दिवस पर अपने अपने गांव में शारीरिक दूरी एवं मुंह ढक कर इस कार्यक्रम में शामिल होकर संकल्प लिया है और शाम अपने घरों में 9 दीप जलाकर भी सांकेतिक विरोध दर्ज किया है. यह संकल्प संविधान में दिया गया जीवन जीने के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 से प्रेरित है. इस कार्यक्रम में क्षेत्र के चुटका, मोहगांव, मानेगांव, पाठा, पिंडरई, छिंदवाहा आदि गाँव के लोग शामिल हुए.