नामांतरण, डीएससी, सीमांकन आदि के लिए लाखों लेने की बात स्वीकार कर रहा कथित पटवारी
बिलासपुर। नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए भू-माफिया और ज़िम्मेदार प्रशासनिक पदों पर बैठे कुछ लोग कैसे फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनवाकर सरकारी ज़मीनों की बंदरबांट कर रहे हैं और सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं इसका छोटा सा उदाहरण है ये कथित कॉल रिकॉर्डिंग जिसमें एक ज़मीन दलाल और एक पटवारी लेनदेन की बात कर रहे हैं।
21 जनवरी 2022 को तहसीलदार बिलासपुर ने नामान्तरण के तीन आवेदनों को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि जिस ज़मीन के नामान्तरण के लिए ये तीनों आवेदन आए हैं वो सरकारी जमीनें हैं।
पहला आदेश – पक्षकार कुमार दस मानिकपुरी वि. बलदाऊ सिंह

दूसरा आदेश – पक्षकार विपुल सुभाष नागोसे वि. बलदाऊ सिंह

तीसरा आदेश – पक्षकार उत्तम कुमार सुमन वि. बलदाऊ सिंह

नामान्तरण के इन तीनों आवेदनों में बलदाऊ सिंह का नाम भूस्वामी के रूप में दर्ज है। बलदाऊ सिंह नाम का ये व्यक्ति मोपका क्षेत्र का कोटवार बताया जाता है। सूत्र ने बताया कि जिस समय की ये घटना है उस समय कौशल यादव इस क्षेत्र के पटवारी हुआ करते थे।
ऊपर उल्लिखित जिन तीन व्यक्तियों के नामान्तरण आवेदन तहसीलदार ने ख़ारिज किए हैं उन्हीं तीनों ने पटवारी हलका नंबर 29 मोपका के तत्कालीन पटवारी कौशल यादव के खिलाफ़ एक लिखित शिकायत जयसिंह अग्रवाल (राजस्व मंत्री छ. ग. शासन) से की थी। शिकायत में पटवारी कौशल यादव द्वारा छल कपटपूर्वक धोखाधड़ी कर रकम वसूली करने की बात कही गई है।
शिकायत की कॉपी


चैनल इस बात का दावा नहीं कर रहा है लेकिन वायरल कॉल रिकॉर्डिंग और इस ख़बर में संलग्न सभी दस्तावेज़ो का मिलान करने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि शायद कॉल रिकॉर्डिंग में इन्हीं जमीनों (मौजा चिल्हाटी प.ह.न. 29 स्थित भूमि खसरा नंबर 317/8, मूल खसरा नंबर 317/3) की सौदेबाज़ी में हुई गड़बड़ियों के संबंध में बात की जा रही है। रिकॉर्डिंग में जिन भी प्रशासनिक अधिकारियों और भूस्वामी का नाम लिया जा रहा है वे सभी इसी (मौजा चिल्हाटी प.ह.न. 29 स्थित भूमि खसरा नंबर 317/8, मूल खसरा नंबर 317/3) ज़मीन से संम्बंधित हैं।
प्रशासन को स्वतः संज्ञान लेकर इस रिकॉर्डिंग की सत्यता की जांच करनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके।
डिस्कलेमर :- चैनल इस कॉल रिकॉर्डिंग की सत्यता की पुष्टि या दावा नहीं करता है ना ही किसी अधिकारी पर कोई इल्ज़ाम लगा रहा है। संबंधित पटवारी और अधिकारियों द्वारा सरकारी जमीनों की खरीदी बिक्री में गड़बड़ी करने, कूटरचना करने, नियमों की अवहेलना करने, सरकार को राजस्व की हानि पहुँचाने की यदि ज़रा भी आशंका है तो शासन को स्वतः संज्ञान लेकर इस कॉल रिकॉर्डिंग की फॉरेंसिक जाँच करवानी चाहिए और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उनपर कड़ी से कड़ी कारवाई की जानी चाहिए।