बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान प्राप्त करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि एक नियोक्ता की वित्तीय कठिनाइयां कामगारों को वेतन का भुगतान न करने या देरी से भुगतान करने का कारण नहीं हो सकती हैं।
बिलासपुर। मस्तूरी तहसील के अंतर्गत ‘कोकड़ी’ ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम ‘बेलपान’ में सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा लगातार आंदोलन करने के बाद प्रशासन ने “कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड” नाम से संचालित स्पंज आयरन फैक्ट्री में कुछ समय के लिए ताला जड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस फैक्ट्री ने न सिर्फ़ बेलपान बल्कि आसपास के लगभग 12 गांवों के हवा पानी को ज़हरीला और बर्बाद कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि यदि ईमानदारी से जांच की जाएगी तो कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड के सभी काले कारनामे आसानी से साबित हो जाएंगे। प्रशासन ने ये कहते हुए “कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड” में ताला लगाया है कि जबतक कालिंदी पर लगे तमाम आरोपों की जांच नहीं हो जाती तब तक इसे बन्द किया जाता है”
अब वेतन देने से इनकार कर रहा कालिंदी प्रबंधन
जैसा कि ख़बर की शुरुआत में उल्लिखित है कि श्रमिक को उसका वेतन प्राप्त करने का अधिकार है तो ताला लग जाने के बाद भी “कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड” की ये संवैधानिक जिम्मेदारी है कि जितने दिन श्रमिकों ने कार्य किया है उतने दिनों का वेतन उन्हें अविलंब दिया जाए। लेकिन लगातार नियमों की अनदेखी कर रहा कालिंदी प्रबंधन वेतन न देकर फिर से कानून का उल्लंघन कर रहा है।


वेतन न मिलने से परेशान श्रमिकों को कालिंदी प्रबंधन ये कहकर वापस लौटा रहा है कि ग्रामीणों की शिकायत पर कारखाना बंद हुआ है तो जाओ उन्हीं से वेतन मांगों।
ग्रामीणों का कहना है कि कुछ ही दिनों में दिवाली आ जाएगी और फैक्ट्री वाले न हमें वेतन दे रहे हैं और न दिवाली का बोनस दे रहे हैं। संविधान का उल्लंघन करने वाले इन फैक्ट्री मालिकों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए।
कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड द्वारा उद्योग नीति और तमाम श्रम कानूनों का उल्लंघन करने के प्रमाण बेलपान और आसपास के क्षेत्र में आसानी से देखने को मिल जाते हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा जांच की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं की गई है।
सीजीबास्केट ने गांव में जाकर प्रभावित ग्रामीणों से बात की और क्षेत्र का मुआयना कर कालिंदी इस्पात प्राईवेट लिमिटेड पर लगे आरोपों का सच जानने की कोशिश की। ग्रामीणों ने जो कुछ बताया और दिखाया उसका विवरण हमने पिछली खबर में प्रकाशित किया था। नीचे दिए लिंक में जाकर आप उस खबर को भी पढ़ सकते हैं।