महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र के छात्रों द्वारा 5 जनवरी को JNU के छात्रों पर हुइ बर्बर हिंसा के खिलाफ, प्रतिरोध मार्च निकाला।

इस हमले का विरोध एवं JNU के छात्रों के समर्थन में गांधी हिल्स से अंजलि हाइट तक मार्च निकाला गया। JNU के विद्यार्थी अपनी फ़ीस वृद्धि के विरोध मेन लगभग दो महीनों से लोकतांत्रिक तरीके संघर्ष रहे हैं। रविवार की शाम उन पर कुछ बाहरी गुंडों द्वारा नक़ाब पहन कर रॉड और डंडो से आक्रमक तरीके से हमला किया गया। जिसमें JNUSU की अध्यक्ष आईषी घोष एवं छात्र, छात्राओं तथा जेएनयू के प्रोफ़ेसर को भी सर में गंभीर चोटें आईं। ये गुण्डे एक तरफ कैंपस में आकर हमला कर रहे थे तो वहीं के सुरक्षा कर्मी और देर रात कई घंटों के बाद आई दिल्ली पुलिस मूकदर्शक की तरह सब देख रही थी। नक़ाब पहन कर आए हमलावर लोग वंदे मातरम और भारत माता की जय बोलकर जेएनयू कैंपस से निकल गए। बड़ा सवाल यह है कि इन गुंडो को कैसे और किसने प्रवेश करने दिया, सुरक्षा कर्मी की बिना अनुमति के कैसे अंदर आए, कैसे इन्होंने प्रवेश किया यह सोचनीय है? ऐसा प्रतीत होता है कि ये हमला केंद्र सरकार, जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस की सोची समझी साजिश है जो पूर्व रणनीति के साथ छात्रों पर हमला करवाया गया।
हिन्दी विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा गांधी हिल्स से कैंपस के गेट तक मार्च का आयोजन किया गया जिसके अंत में वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं। इस कार्यक्रम का संचालन रविचंद्र राउत ने किया। चंदन सरोज ने अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा कि किस तरह केंद्र की सरकार उच्च शिक्षण संस्थानो का निजीकरण करना चाहती है और जामिया मिल्लिया और एएमयू तथा जेएनयू के छात्रों और छात्राओं पर हमला किया गया और आज लोग जो वामपंथ को मार्क्स से जोड़ कर देखते हैं वो लोग अपना चश्मा बदल लें वामपंथ का मतलब मार्क्सवादी होना ही नहीं वामपंथ का मतलब है अन्याय और अपने अधिकार के लिए लड़ना। सत्ता की गलत नीतियों का विरोध करना भी है, आज संघ और केंद्र की बीजेपी सरकार जिस तरह निजीकरण कर रही है वह खतरनाक है। शिक्षा हमारा अधिकार है जिसे सत्ता छीन रही है हम इसके लिए लड़ रहे हैं तो हम पर पुलिस और अपने फर्जी देश भक्त गुंडों से हमला करवा रही और NRC और CAA के माध्यम से लोगों को बांट रही है। जिसके कारण सबसे बड़ा हिस्सा मजदूर और भूमिहीन लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
संविधान की आत्मा, प्रस्तावना में “हम भारत के लोग “को खत्म कर देना इसका मूल उद्देश्य है।
इस बीच रविचंद्र ने अंबडेकर का जिक्र किया और आईशी घोष के नेतृत्व को सलाम करके अपनी बात रखी, और जेएनयू की पूर्व छात्रा रहीं सरिता यादव ने कहा कि जो लोग जेएनयू रत्तीभर भी नहीं जानते वो उसके बारें में भ्रम फैला रहे है। जेएनयू सत्ता के ख़िलाफ़ लड़ता है केन्द्र सरकार की गलत नीतियों का विरोध करता है जेएनयू अपनी फ़ीस वृद्धि का विरोध कर रहा तो क्या गलत कर रहा?
अजय राउत ने कहा आईआईटी मुम्बई टिस(TISS), AMU, जेएनयू, जामिया जैसे शिक्षा के सर्वोच्च शिक्षण संस्थानों को फ़ीस वृद्धि करके और महिला छात्राओं को चाहे वो गुरमीत मेहर, नेहा यादव और आईशी घोष और प्रियंका भारती जैसी छात्रओं की आवाज़ दबाकर मनुस्मृति लागू करना चाहती है, जिसमें महिलाओं शिक्षा का अधिकार ही नहीं था। यह सरकार छात्राओं पर हमला कर के उन्हें शिक्षा से वंचित करना चाहती है। अजय ने जेएनयू में हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि केंद्र की सरकार और आरएसएस से निकले गुंडे हमारे देश को जला कर रख देना चाहते है, पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन जो कि AMU के छात्रों को संबोधित करने जा रहे थे को अलीगढ़ के प्रशासन ने कार्यक्रम में शामिल होने से रोक दिया, बीजेपी की सरकार छात्रों पर लगातार हमले करवा रही हैं
छात्र प्रेम ने अपने वक्तव्य में कहा कि जेएनयू हर साल 8 से 10 आइएएस देता है। देश निर्माण में जेएनयू का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय की अन्य लड़कियों ने भी मार्च में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और जेएनयू प्रशासन द्वारा हमले को न रोके जाने और प्रशासनिक असफलता की घोर निंदा की। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन इस्तेखार अहमद ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के भारी संख्या में प्रगतिशील छात्रों ने भाग लिया।
वर्धा से अजय यादव की रिपोर्ट