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पत्रिका ;7.8.17
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संवेदना आदमी की आदमी बनाती है .कविता में संवेदना जितनी गहरी होगी बात उतनी ही गहरी पैठती है आदमी तो जन्म से ही कवि होता है , जब वो पहली बार माँ कहता है,माँ एक महाकाव्य है.
उक्त बातें रविवार को सम्भाग आयुक्त टीसी महावर ने आई एम ए के सभागार में प्रगतिशील लेखक संघ और प्रेस क्लब बिलासपुर के सयुक्त आयोजित एकाग्र संध्या कार्यक्रम में कही .महावर ने नथमल शर्मा की कविता संग्रह ” उसकी आँखों में समुद्र ढूढता ” में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कविता में संवेदनाएं ऐसी हों जो पाठक को पढते हुए महसूस हो कि में भी यही बात कहना चाहता हूँ. अगर ऐसा हुआ तो समझो कि वह कविता समर्थक हैं.
नथमल शर्मा ने आदमी की आँखों में समुद्र ढूँढने की बात मानवीय संवेदनाओं पर कही है जो धीरे धीरे समाप्त होती जा रही है .उसे अपनी आँखों में और दुनियाँ से बचा लेना उसे उसे ढूढते रहने का आग्रह है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राम कुमार तिवारी ने की कार्यक्रम प्रमुख वक्ता आलोचक साम्य सम्पादक विजय गुप्त थे ,उन्होंने अपनी बात विस्तार से रखी .
पत्रिका के स्थानीय सम्पादक और साहित्यकार वरूण श्रीवास्तव ने कविता संग्रह पर समीक्षात्मक करते हुये अपनी टिप्पणी रखी .इस अवसर पर नमिता घोष ,सईद खान ,अजय पाठक ने भी अपननी बात कही.
आयोजन का संचालन प्रेसक्लब के सचिव विश्वेश्वर ठाकरे एवं क्लब के अध्यक्ष तिलक राज सलूजा ने आभार व्यक्त किया .कार्यक्रम में विशेष रूप से हरीश केडिया ,बजरंग केडिया ,शीतेन्द्र नाथ चौधरी ,रफीक खान ,डा. सत्यभामा अवस्थी सहित बडी संख्या में शहर के साहित्यकार ,पत्रिका और बुध्दिजीवी उपस्थित थे .
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पत्रिका से आभार सहित