रायपुर। छत्तीसगढ़ आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक कोमल हुपेंडी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के किसान अपनी विभिन्न मांगों के साथ राजधानी रायपुर में बीते 70 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलनरत किसानों में से एक किसान की मौत मौत हो जाने के बावजूद भी प्रदेश सरकार ने अबतक उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया है ये बात सरकारी दावों के उलट उसके तानाशाही रवैये को उजागर कर रही है।
पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ हो या देश, किसानों की दुर्दशा के पीछे भाजपा और कांग्रेस दोनो ही सरकारो का हाथ है। दोनो ही सरकारों ने खूब बड़े बड़े दावे किए, किंतु जब बात ज़मीनी हकीकत की बात आती है तो देखा जा सकता है कि दिल्ली हो या रायपुर, दोनो ही जगह किसानों को लड़ना पड़ रहा है।
प्रदेश के कोषाध्यक्ष जसबीर सिंह ने बोला कि राज्य में भुपेश बघेल सरकार में किसानो को समय से बारदाना तक नही मिल सका, ना ही समय से धान खरीदी हुई, जिसके कारण किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। जो सरकार किसानों को एक बारदाना तक उपलब्ध नही करवा सकी वो सरकार किसानों के साथ क्या ही न्याय करेगी।
उसके बाद अब देख सकते है कि आंदोलन में बैठे 70 दिन होने के बाद एक किसान की मौत हो चुकी है।
रायपुर में 70 दिनों से आंदोलन रत बैठे किसानों को की मांगों को नही सुना जाना, और अब एक किसान की शहादत होना, राजनीतिक दमन और राजनीतिक हत्त्या है- प्रियंका शुक्ला, प्रदेश प्रवक्ता, AAP, छत्तीसगढ़
राज्य की सह संगठन मंत्री दुर्गा झा कहती है कि पूरे राज्य और देश का पेट पालने वाले किसान की हालत ये है कि उसको अपने अधिकारों और हक के लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक आंदोलन करने पड़ते है, जो कि बेहद पीड़ादायक है।
प्रियंका शुक्ला ने भाजपा और कांग्रेस दोनो पर ही सवाल खड़े किए और बोला कि क्या किसान की जान इतनी सस्ती है कि उसके मरने पर कुछ लाख रुपये से सब रफा दफा किया जा सकता है। मुआवजा तो बिन मांगे, और बिना देरी किए अविलंब देना ही चाहिए लेकिन इस राजनीतिक दमन में हुई हत्या की दोषी भुपेश बघेल सरकार पर जांच होनी चाहिए।
राज्य के संयोजक कोमल हुपेंडी ने किसानों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए बोला कि चुनाव पास आते ही, बड़ी बड़ी हवा हवाई बातों के साथ पुनः नेता चुनाव लड़ने आ जाएंगे। उसके पहले तो किसान याद तक नही आएगा, दूसरे चुनावी राज्य में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी 50 लाख के मुआवजे का ऐलान कर देते हैं यदि छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होते तो कोई किसान नहीं मरता और उनकी सभी मांगें मानी जातीं।
हुपेंदी ने कहा कि दुखद है कि आम आदमी पार्टी यहां सत्ता में नही है, वरना एक भी किसान के साथ ऐसा नही होने दिया जाता।
प्रदेश के सह संयोजक सूरज उपाध्याय ने बोला कि भाजपा और फिर कांग्रेस दोनो ने ही बारी बारी से राज्य के किसानों और आदिवासियों का बँटाधार किया है इसलिए आम आदमी पार्टी दिल्ली पंजाब के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी किसानों और आदिवासियों के मुद्दों पर काम करके जनता को भाजपा और कांग्रेस से छुटकारा दिलवाएगी।
पार्टी ने कहा है कि अभी एक किसान की मौत हुई है, आगे और शहादत का इंतज़ार कर रही सरकार को बिना देर किए किसानों के आंदोलन स्थल पर जाकर बातचीत करके किसान हित मे फैसला लेना चाहिए, उनकी मांगों को सुनना चहिए।
आम आदमी पार्टी , छत्तीसगढ़ चेतावनी देती है कि यदि आंदोलन में बैठे किसानों से संवाद करके, यदि उनकी मांगों को नही माना जाता है तो प्रदेश के हर जिले में बड़ा प्रदर्शन भी किया जाएगा।