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कोनी में किसान की ज़मीन को अनपढ़ महिला के नाम दर्ज कराकर अपने भतीजे के नाम रजिस्ट्री करवा ली और किसान को पता ही नहीं

किसान ने आईजी से की लिखित शिकायत, जांच का हुआ आदेश

बिलासपुर। जिले में जमीन के फर्जीवाड़ा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। ताजा मामला कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम रमतला का है जिसमें एक किसान की जमीन को वकील द्वारा पटवारी के साथ मिलकर कूटरचना करते हुए गांव की ही अनपढ़ महिला के नाम पर दर्ज करा दिया गया,जिसके बाद अपने भतीजे के नाम पर रजिस्ट्री करा दिया गया है।

मामले की जानकारी होने पर पीड़ित किसान ने आईजी से मिलकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस पूरे मामले में तत्कालीन पटवारी की भूमिका संदिग्ध है जिसके खिलाफ भी अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है। कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम रमतला निवासी नरोत्तम प्रसाद सूर्यवंशी पेशे से किसान है जिनका गांव में 0.56 एकड़ पुश्तैनी भूमि है जिसका खसरा नंबर 1211 है।

आईजी डाॅ रतनलाल डांगी से की गई शिकायत में किसान नरोत्तम सूर्यवंशी ने बताया की उक्त जमीन के अलावा गांव में मेरी अन्य जमीन भी है जिस पर वों खेती करते है। कुछ समय पहले किसान को जानकारी हुई की उसकी पुश्तैनी 0.56 एकड़ जमीन जिसका खसरा नंबर 1211 है उसे जूना बिलासपुर निवासी शशिकांत देवांगन द्वारा तत्कालीन पटवारी के साथ मिलकर गांव की ही अनपढ़ महिला दर्पण बाई के नाम पर चढ़ा कर उक्त जमीन को पीयूष देवांगन के नाम पर रजिस्ट्री करा दिया गया है। मामले की जानकारी होने पर किसान नरोत्तम सूर्यवंशी ने दर्पण बाई से संपर्क किया तो दर्पण बाई ने बताया की वकील शशिकांत देवांगन ने उससे किसी कागजात पर अंगूठा लगवाया है। दर्पण बाई के नाम पर जमीन चढ़ाने के बाद उसे अपने ही भतीजे के नाम पर रजिस्ट्री करा लिया गया है।

अपनी जमीन किसी और के नाम पर रजिस्ट्री हो जाने की जानकारी के बाद किसान नरोत्तम सूर्यवंशी हड़बड़ाए आईजी डाॅ रतनलाल डांगी के पास पहुंचा तथा मिलकर पूरी घटना की जानकारी दी और लिखित में खुद के साथ धोखाधड़ी किए जाने को लेकर आरोपी शशिकांत देवांगन,पीयूष देवांगन,फर्जी रजिस्ट्री में गवाह बने अशोक कुमार,सूरज सूर्यवंशी और रमतला हल्के की तत्कालीन पटवारी के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करते हुए कार्रवाई की मांग की है,जिस पर आईजी डाॅ.डांगी ने थाना कोनी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए है।

तत्कालीन पटवारी की भूमिका संदिग्ध है किसी भी जमीन को कूटरचित और छेड़छाड़ करके किसी दूसरे के नाम पर सरकारी मशीनरी के सहयोग के बगैर नहीं किया जा सकता। इस पूरे मामले में तत्कालीन पटवारी की भूमिका पूरी तरीके से संदिग्ध है और पीड़ित किसान ने भी आईजी को दिए शिकायत पत्र में उक्त पटवारी के खिलाफ भी अपराधिक मामले के तहत जुर्म दर्ज किए जाने की मांग की है।

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