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पूर्व तहसीलदार नारायण गबेल की गिरफ़्तारी और चालान पेश करने की मांग, हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका

बिलासपुर। ज़िले में तहसीलदार जैसे महत्वपूर्ण और लाभ के पद पर पदस्थ रह चुके नारायण प्रसाद गबेल का पूरा कार्यकाल वित्तीय अनियमितताओं, शासकीय जमीनों की विवादित खरीदी बिक्री में संलिप्तता और ऐसे ही अन्य कृत्यों से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने जैसे गंभीर आरोपों से भरा हुआ है।

इन्हीं सब आरोपों के चलते एक साल पहले जून 2021 में तहसीलदार नारायण गबेल के ख़िलाफ़ एंटी करप्शन ब्यूरो ने गलत तरीके से आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का अपराध पंजीबद्ध कर एफआईआर दर्ज की थी। FIR दर्ज करने से पहले नारायण गबेल के ख़िलाफ़ प्राथमिक जाँच की गई, जाँच में इन आरोपों के संबंध महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलने और अपराध होना पाए जाने के बाद FIR दर्ज की गई।

अब तक नहीं हुई गई गिरफ्तारी

तहसीलदार जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए करोड़ों की बेनामी सम्पत्ति अर्जित करने के गंभीर अपराध में एसीबी द्वारा FIR दर्ज किए जाने के लगभग दो साल बाद तक भी आरोपी नारायण गबेल को अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गबेल को इतनी छूट और सहूलियत दी जा रही है कि उनके मामले में अभी तक चालान ही पेश नहीं किया गया है।

गिरफ्तारी के लिए हाईकोर्ट में लगाई याचिका

सूरज सिंह ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए जल्द से जल्द गबेल की गिरफ्तारी की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नारायण गबेल एक राजपत्रित अधिकारी हैं और किसी भी राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ़ FIR दर्ज करने से पहले पूरी जांच की जाती है तथा अपराध संबंधी पुख़्ता साक्ष्य मिलने के बाद ही FIR दर्ज की जाती है। याचिकाकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि यदि पूरी जांच करने के बाद FIR दर्ज की गई है तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई। उनका कहना है कि विभाग द्वारा अब तक चालान ही पेश न करना इस ओर संकेत कर रहा है कि नारायण गबेल बाहर रहकर जांच को प्रभावित कर रहे हैं। वे ये भी कहते हैं कि यदि एफआईआर में सत्यता नहीं है तो एफआईआर करने वाले दोषी अधिकारियों पर पद और अधिकार के दुरुपयोग का मामला दर्ज हो।

नारायण गबेल की गिरफ्तारी और चालान पेश करने में हो रही देर से जांच प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। अब देखना है कि दोनों में से एसीबी सही है या पूर्व तहसीलदार नारायण गबेल। ये पूरा मामला हाईकोर्ट में सूरज सिंह की याचिका पर अंतिम निर्णय आने के बाद ही साफ़ हो पाएगा।

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