बिलासपुर। बीती 19 सितंबर को सरकंडा स्थित स्काई हॉस्पिटल के डायरेक्टर प्रदीप कुमार अग्रवाल की मिसिंग रिपोर्ट सरकंडा थाने में दर्ज हुई थी। बाद में परिवार ने उनके अपहरण की शंका ज़ाहिर की। बिलासपुर पुलिस ने पहले डायरेक्टर को सलामती के साथ घर पहुँचाया फिर कुछ ही दिनों में सभी पाँच आरोपियों को भी गिरफ़्तार कर लिया, वो भी यूपी जाकर।
स्काई हॉस्पिटल सरकंडा के डायरेक्टर, 42 वर्ष के प्रदीप अग्रवाल के अचानक ग़ायब हो जाने की ख़बर ने इलाके के रहवासियों समेत पुलिस को भी चिंता में डाल दिया था। अपहरण का कोई क्लू नहीं, न परिवार को कोई धमकी न फ़िरौती की मांग। केस उलझता जा रहा था। लेकिन फिर एकदिन पुलिस की तरफ़ से ख़बर आई कि प्रदीप अग्रवाल मिल गए हैं और बीते कल पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने बताया, कि सारे आरोपियों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है।
इस मामले की छानबीन कर रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निमेश बरैया ने बताया कि इस अंधी गुत्थी को सुलझाने के प्रयास में स्काई हॉस्पिटल के 30 से अधिक कर्मचारियों से बारीकी के साथ पूछताछ की गई। बिलासपुर से लेकर मुरादाबाद तक तकरीबन 500 से ज़्यादा cctv कैमरों के फ़ुटेज खंगाले गए। गुम इंसान के व्यवसाय से संबंधित पूर्व लेनदेन और अन्य विवादों की छानबीन की गई। मालूम चला कि पूर्व में अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर शैलेंद्र मसीह, डॉक्टर मोहम्मद आरिफ़, टेक्नीशियन फ़िरोज़ खान और प्रदीप अग्रवाल के बीच रुपयों के लेनदेन को लेकर कई बार विवाद हो चुका है।
बरैया ने बताया कि जिस दिन से प्रदीप अग्रवाल ग़ायब है उसी की शाम तकरीबन सात बजे एक अज्ञात व्यक्ति अस्पताल से उनकी चेकबुक लेकर गया और इसी के बाद से अग्रवाल का फ़ोन भी बन्द हो गया था।
पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने इस मामले को गंभीरता से लिया और क्षेत्र के थाना प्रभारी परिवेश तिवारी को स्थानीय स्तर पर सतर्कता बरतने करने के निर्देश दिए।
तमाम कड़ियों को जोड़ने पर पाँच लोग संदेह के घेरे में आए शैलेंद्र मसीह, मोहम्मद आरिफ़, फ़िरोज़, रिज़वान, एवं एक अन्य ड्राइवर आरिफ़।
पुलिस मरीज़ बनकर यूपी के अस्पताल में हुई भर्ती
मालूम हुआ कि आरोपी मोहम्मद आरिफ़ और फ़िरोज़ ख़ान मूलतः मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तब पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने तुरंत एक टीम संभावित स्थल मुरादाबाद के लिए रवाना की।
मुरादाबाद के कॉस्मोस अस्पताल में आरोपी आरिफ़ काम किया करता था। उप पुलिस अधीक्षक निमेश बरैया के कहने पर पुलिस टीम के लोगों को मरीज़ बनाकर कॉस्मोस अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। मरीज़ बनकर अस्पताल में रह रही पुलिस ने गुप्त रूप से सारी सूचनाएं एकत्रित कीं और सभी पाँच आरोपियों को गिरफ़्तार करने में सफ़लता हासिल पाई।
पहली वर्चुअल प्रेसवार्ता
अपहरण के इस गंभीर मामले को इतने का समय में सुलझा लेने के अलावा बिलासपुर पुलिस ने एक और सराहनीय नवाचार किया, वो ये कि इस मामले की ब्रीफिंग के लिए बिलासगुड़ी में पत्रकारों के साथ जो प्रेसवार्ता रखी गई वो वर्चुअल प्रेसवार्ता थी। मुरादाबाद में गिरफ़्तार सभी आरोपियों को पत्रकारों ने बिलासपुर में बैठकर लाईव देखा। पुलिस के द्वारा रखी गई संभवतः ये अपने तरह की पहली प्रेसवार्ता रही।
IG ने दिया ईनाम
इस गुत्थी को सुलझाने में सफल हुई टीम के बढ़िया काम को देखते हुए IG बिलासपुर ने टीम के लिए 30000 हज़ार रुपए ईनाम की घोषणा की।
SP ने एक प्यारी बात कही जो अक्सर नहीं सुनने मिलती
कल की वर्चुअल प्रेसवार्ता में मुरादाबाद गए पुलिस जवानों से बात करते हुए पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने उनका हौसला बढ़ाने वाली एक ऐसी प्यारी बात कही जो पुलिस का कोई आला अधिकारी सार्वजनिक जगहों पर कम ही कहता होगा,
उन्होंने कहा “धर्मेंद्र…तुमलोगों ने बढ़िया कम किया है…शाबाश”
पुलिस अधीक्षक का, तमाम मीडिया के सामने, किसी SI से ये कहना उस SI के लिए कितनी बड़ी बात है ये धर्मेंद्र वैष्णव के चेहरे से ज़ाहिर से हो रहा था।
उप पुलिस अधीक्षक निमेश बरैया ने बताया कि इस पूरी कारवाई में सायबर सेल के मनोज नायक ने अहम भूमिका निभाई है। मुरादाबाद गई टीम में धर्मेंद्र वैष्णव, विनोद यादव, अविनाश और सतीश यादव शामिल थे।
मामले में जाँच अभी जारी है।