3. मसाला चाय : आज सुनते हैं शरद जोशी का यात्रा वृत्तान्त “रेल यात्रा”. भारतीय रेल की बदहाली पर ऐसा बारीक और सटीक कटाक्ष शायद ही किसी और ने लिखा हो : अनुज की आवाज़
शरद जोशी कहते हैं कि जब रेलें नहीं चली थीं, यात्राएँ कितनी कष्टतप्रद थीं। आज रेलें चल रही हैं, यात्राएँ फिर भी इतनी कष्टकप्रद हैं।...