छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा तहसील के पंचायत बहेरामुड़ा के ग्राम फुलवारीपारा के बैगा आदिवासियों पर वन अधिकार दावा करने पर वन विभाग ने झूठा प्रकरण बनाकर जुर्म दर्ज किया है।
आदिवासियों पर आरोप है कि वन भूमि पर वन विभाग ने पौधों की रोपाई की थी, उसपर आदिवासियों ने हल से जुताई कर अपराध कारित किया है।
आदिवासियों पर भारतीय वन अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम तथा लोक संपत्ति को नुकसान से निवारण अधिनियम लगाया गया है।
इस अपराध में कुल 10 आरोपी बनाये गए हैं। जिसमें 4 ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया था।”नवरचना” गैर सरकारी संगठन जो क्षेत्र में आदिवासी अधिकार पर काम करती है की सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता कांता नंदी तथा “जनहित” संगठन के प्रयास से गिरफ्तार किए गए आदिवासियों को जमानत मिल गई है। शेष 6 आदिवासियों ने स्वयं समर्पण करते हुए कोर्ट से जमानत प्राप्त की है।
यह अपराध भाजपा सरकार के कार्यकाल में दर्ज किया गया था। चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार पेसा कानून तथा वन अधिकार कानून के अर्थपूर्ण क्रियान्वयन के लिए कार्य कर रही है तो उसे इस ओर भी ध्यान देना चाहिए की वन विभाग व उसके अधिकारी बेकसूर आदिवासियों को सिर्फ उनके विधिक अधिकारों की मांग करने पर प्रताड़ित करने तथा मनोबल गिराने के उद्देश्य फर्जी अपराधिक प्रकरण बना कर परेशान कर रहा है। छत्तीसगढ़ शासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा आदिवासियों के कानूनी अधिकार को वन विभाग अधिकारी मजाक नहीं बनाए।
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