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15 जुलाई 2019 , बूढा तालाब रायपुर . पर सुबह 11 बजे से .
सुधा भारद्वाज आदिवासियों ,किसानों,मजदूरो, दलितों, छात्रों ,महिलाओं और वंचित वर्गों के पक्ष में खडी आवाज रहीं हैं . कारपोरेट लूट और अंधाधुंध औधोगीकरण के नाम पर जमीन कि लूट के खिलाफ संघर्ष करने वाली योद्धा महिला को जेल के चार दिवारी के अंदर बंद कर दिया ,लोकतंत्र में यह बड़ा भयावह घटना है जो बोलने के आजादी को कुचलने का काम कर रही है।
सुधा जी छत्तीसगढ़ में 30 साल मजदूरों ,आदिवासियों ,दलितों के हक़ के लिये कानूनी लड़ाई लड़तीं रही तथा विस्थापन और आदिवासियों के जल जंगल भूमि बचाने की लडाई लड़ती रहीं है .इसके कारण केन्द्र की सरकार ने महराष्ट्र में भीमा कोरेगांव में दलितों के शोर्य गाथा के दिन हमले का बहाना बनाकर गिरफ्तारी की .
बात केवल एक इंसान की रिहाई की नहीं है । सुधा भारद्वाज की रिहाई की मांग हम सब के मूल लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग के बराबर है – अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के अधिकार के बराबर असहमती दर्ज करने के अधिकार के बराबर हैं.
हम भीमा – कोरेगाँव के घटना के संबंध में फर्जी आरोपों से गिरफतार मानवधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग करते हैं । •
हम यू ए पी ए जैसे अमानवीय कानून खारिज करने की मांग करते हैं •
जल जंगल और जमीन व अन्य संसाधनों की अवैध लूट को बंद करने की मांग करते हैं ।
छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधीनियम जैसे गैर संवैधानिक कानून वापस करने की मांग करते है.
पेसा,वनाधिकार कानून के पालन और गैर संवैधानिक तरीके से औधोगीकरण के नाम पर जमीनों ,जंगलों और खनिजों की लूट का विरोध करते है.
छत्तीसगढ़ कि सरकार उनके कार्यों से वाकिफ़ रही है. छत्तीसगढ़ बाचाओ आंदोलन और उनसें जुड़े 35 जन संगठनों की राज्य सरकार से अपील है कि वह अपना रूख स्पष्ट करे. इसलिये आज 15 जुलाई को सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिये राज्य स्तरीय धरना देकर छत्तीसगढ़ शासन का ध्यान आकर्षित करना चाहते है कि सरकार सुधा भारद्वाज के सबंध में महाराष्ट्र सरकार एवं केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर अपना रूख स्पष्ट करे और मुकदमा वापस लेने की मांग करे.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन .