29.12.2017
रायगढ तमनार
तमनार के बंजिन पाली में फिर से प्रशासन ने एक गरीब का घर भरे ठंड में उजाड़ कर उन्हें बेघर कर दिया। कुछ साल पहले एसडीएम ने आदेश देकर 170 ख के तहत जमीन को वापस कर दिया था। बाद में हिंडाल्को कलेक्टर कार्यालय में अपील किया जहां से एसडीएम कोर्ट को केस वापिस कर दिया गया। इसके बाद तो तहसीलदार ने वहां तांडव मचा दिया।
उद्योगों के शह पर रायगढ़ जिले में आम जन और आदिवासियों पर प्रशासन का कहर आम बात है। बस सिर्फ उद्योगपति बदलते हैं पर प्रशासन का रवैया आम लोगों के प्रति नहीं बदलता। 2 साल पहले भी हिंडालको के ईशारे पर ही 3 गरीब आदिवासियों के आशियाने को बेदर्दी से तोड़ दिया गया था। जब बवाल मचा तब शासन ने उन्हें घर देने का लिखित आश्वासन दिया था हालांकि शासन अपने वादे पर कायम नहीं रह सकी। इस बार भी कुछ ऐसे ही हुआ है हिंडालको के इशारे पर गरीब आदिवासी फिर से रौंद दिया गया। इससे पहले एसडीएम कार्यालय ने समरी बाई को बांजिन पाली के ज़मीन को एक साल पहले वापस करने का आदेश जारी किया था।
क्या था मामला
2013 में पूरे जिले में 170 ख के प्रकरण खंगालने का आदेश तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल ने दिए। पूरे जिले से 800 से ज्यादा प्रकरण मिले। ज्यादातर प्रकरण उद्योगों के निकले जिसमें कहा गया कि उद्योगों ने अवैध तरीके से आक्सीवासिओं की ज़मीन पर कब्जा किया हुआ है। कलेक्टर के आदेश पर संबंधित एसडीएम ने इसकी सुनवाई शुरू की और इसी तारतम्य में घरघोड़ा एसडीएम ने 60 प्रकरणों में सुनवाई करते हुए आदिवासियों को उनकी जमीन वापस करवा दी। यह ज़मीन पूर्व में मोनेट इस्पात एंड एनर्जी के हिस्से था जिसे बाद में हिंडाल्को द्वारा ले लिया गया था। हिंडाल्को ने इसकी अपील कलेक्टर कोर्ट में किया जहां कहा गया कि एसडीएम इस फैसले की समीक्षा करें। इतना सिग्नल मिलते ही तम्मनार तहसीलदार ने गरीब आदिवासी के आशियाने को 24 दिसंबर को रौंद दिया और उसे कहीं गुहार लगाने का मौका भी नहीं दिया गया।
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डिग्रीप्रसाद चौहान की पोस्ट