8.08.2018
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दो दिन पहले छतीसगढ के मुख्यमंत्री ने एलान किया कि माओवादी या तो आत्म समर्पण करें या गोली खायें ,और सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ बता कर 15 आम आदिवासियों जिनमें बच्चे और महिला शामिल है को खेतों मे काम करते समय मार गिराया .तुरंत केन्द्रीय ग्रहमन्त्री तथा मुख्यमंत्री ने पीठ थपथपाई ,आई जी ने कहा हम सैनिकों को पुरस्कृत करेंगे.पूरी पठकथा आनन फानन में लिखी गई है .
ग्रामीण आरोप लगा रहे है कि वहाँ कोई मुठभेड़ ही नहीं हुई ,सीधे सीधे हत्याकांड हैं ,आदिवासी नेत्री सोनी सोरी और लिंगा राम कोडोपी ने इसे फर्जी कहानी बताई है वहीं सुरक्षा बल इसे माओवादियों के केम्प पर हमला कर मार गिराने का दावा किया गया हैं .
सामाजिक कार्यकर्ता तथा आप की नेता सोनी सोरेन ने कहा है कि नक्सलियों को नहीं, पुलिस ने सामान्य किसानों और नाबालिगों को फर्जी मुठभेड़ में मारा है.
उन्होंने कहा कि सोमवार को सुकमा पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता का दावा करते हुए 15 नक्सलवादियों को कथित मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था। वहीं, इस दावे की पोल मुठभेड़ के एक दिन बाद मंगलवार को ही खुल गई।
इस मुठभेड़ के विरोध में किस्टाराम में आज महिलाओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इनका कहना था कि मारे गए लोग कोई नक्सलवादी नहीं थे।
पुलिसकर्मियों ने नक्सलियों से मुठभेड़ के नाम पर अपना गुड वर्क दिखाने के लिए बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। यह साधारण किसान थे, जिनको मार गिराए जाने के बाद पुलिस नक्सलवादी करार दे रही है।
इन हत्याओं के विरोध में महिलाओं के प्रदर्शन में कोंटा विधाानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रामदेव बघेल और अन्य के साथ शामिल हुईं सोनी सोरी ने बताया कि मारे गए लोगों में गोमपाड़ के कुछ लोग भी शामिल हैं। यह वही गोमपाड़ है, जहां पुलिस मुठभेड़ में एक कथित महिला नक्सली के मारे जाने के बाद पुलिस के दावों पर संदेह और सवाल उठे थे।
सोनी सोरी ने कहा कि आम आदमी पार्टी इस मुठभेड़ पर जताए जा रहे संदेह के आधार पर इसकी न्यायिक जांच की मांग करती है। उन्हें स्थानीय महिलाओं ने बताया है कि मारे गए 15 कथित नक्सलियों में छह नाबालिग थे, जिनकी उम्र 13 से 15 वर्ष के बीच थी। यह सभी कथित मुठभेड़ के समय अपने खेतों में काम कर रहे थे। पुलिस के गश्ती दल ने इन सबको घेर कर गोलियों से छलनी कर दिया।
सोनी सोरी ने मांग की है कि राज्य सरकार पुलिस को ग्रामीणों को नक्सली ठहराकर इस प्रकार फर्जी मुठभेड़ में उन्हें मार गिराए जाने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक डॉ संकेत ठाकुर ने बताया कि अतिशीघ्र एक जांच दल पार्टी की ओर से घटना की वास्तविकता पता कर रिपोर्ट पेश करेगा .
सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार लिंगा राम कोडोपी ने भी बताया कि
कल सुबह 15 आदिवसियों को जिला सुकमा के मेहता पंचायत के चार गांव
1) नुलकातोग से सात आदिवासी नाबालिक बच्चे थे। 1. हिड़मा मुचाकी/ लखमा
2.देवा मुचाकी/हुर्रा 3.मुका मुचाकी/ मुका 4. मड़कम हुंगा / हुंगा 5. मड़कम टींकू / लखमा 6. सोढ़ी प्रभू / भीमा 7. मड़कम आयता / सुक्का। इन सभी नाबालिकों की उम्र लगभग 14,15,16,17, परिजनों के बताए अनुसार वर्ष हैं।
2)ग्राम गोमपाड़ से 1. मड़कम हुंगा / हुंगा 2.कड़ती हड़मा / देवा 3.सोयम सीता /रामा 4.मड़कम हुंगा / सुक्का 5. वंजाम गंगा / हुंगा 6. कवासी बामी / हड़मा।
3) ग्राम किनद्रमपाड़ से 1. माड़वी हुंगा / हिंगा।
4) ग्राम वेलपोच्चा से 1.वंजाम हुंगा / नंदा। ग्राम नुलकातोग से मड़कम बुधरी / रामा इस महिला को पैर में गोली मारे हैं। व ग्राम वेलपोच्चा से वंजाम हुंगा /
नंदा को पुलिस ने पकड़ा हैं और इनामी नक्सली कह रही हैं। इनके अलावा और तीन युवकों को पकड़ा हैं। कई गांव वालों को पुलिस कर्मियों ने दौड़ा-दौड़ा कर मारा हैं, जिनमे प्रेग्नेंट महिलाएं भी हैं।
यह बात हमे तब पता चली जब मैं और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी, रामदेव बघेल परिजनों से मिले, परिजनों ने अपनी पूरी व्यथा सोनी सोरी को सुनाई। चारों गाँव के ग्रामीणों का कहना हैं कि यह सारे ग्रामीण हैं कोई मुठभेड़ नहीं हुआँ हैं। गाँव मे कोई नक्सली था ही नहीं आप सब से मेरा अपील हैं कि आपको और सच्चाई जाननी हैं तो आप मेहता पंचायत के गोमपाड़ गांव में जा सकते हैं, और चारो गांव के ग्रामीणों से मिल सकते हैं।
यह वही ग्राम पंचायत मेहता हैं जहाँ ग्राम गोमपाड़ हैं। 14/6/2016 जहाँ मड़कम हिड़मे/ कोसा की पुत्री का बलात्कार कर नक्सल के नाम पर मार दिया गया।
आज उन आदिवासियों के लाशो की डॉक्टरों द्वारा शव परीक्षण के नाम पर चिकन, मटन की तरह काटेंगे और पालीथिन में बाद कर गाँव वालों को दे देंगे। गांव वाले कल से आये हुए हैं कोन्टा के सड़को में सोए हैं, आज भी शव लेने के लिए परिजन भटक रहे हैं, कब तक शव दिया जयेगा पता नहीं।
कल 15 आदिवासियों को मार कर पालीथिन में लाया गया है। आज छोटे – बड़े अखबारों में बड़े- बड़े अक्षरों में सुकमा पुलिस प्रशासन को शाबाशी मिल रही हैं कि जिला सुकमा की पुलिस ने 15 नक्सलियों को मारकर बहुत ही गौरवपूर्ण कार्य किया हैं।
जिला सुकमा S.P. अभिषेक मीणा, डी. एम. अवस्थी ए.डी.जे. नक्सल ऑपरेशन, इन सभी पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह शाबाशी दे रहे हैं। कुछ दिन बाद इन पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा। शायद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को यह नहीं पता कि मरने वाले नक्सली नहीं बल्की मासूम आदिवासी युवा, युवती हैं।
9 अगस्त को आदिवासी दिवस भारत देश और विश्व मे मनाया जाएगा और सुकमा जिले के चार गाँव गोमपाड़, किन्द्रेमपाड़, नुलकातोग, वेलपोच्चा, के आदिवासी 15 आदिवासी युवा युवतियों के मरने का मातम में रहेंगे। क्या ये गाँव और नक्सल के नाम पर मारे गए आदिवासी आपके समुदाय के नहीं है? क्या ये गाँव आपके नहीं हैं? आप सब आदिवासी दिवस किसके साथ मना रहे हैं? आप उस सरकार के साथ मना रहे हैं जो आपके समाज, समुदाय, और लोगों को नक्सल के बहाने से मार रही हैं। आज भारत देश में आठ करोड़ से नौ करोड़ आदिवासी,मूलनिवासी जीवन यापन कर रहे हैं
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