पूरा देश देख रहा बड़बोले बेईमान और झूठे चौकीदार के खिलाफ असली देशभक्त चौकीदार खड़ा चुनांव में खड़ा है- तेज बहादुर
12.04.2019
वाराणसी। जिनको भी छत्तीसगढ़ (बस्तर संभाग) के सुकमा जिले के बुर्कापाल में घट भीषण नक्सल हमले की घटना याद होगी उन्हें सी आर पी एफ का जाबांज़ सिपाही पकंज मिश्रा के विषय मे भी जानकारी होगी।
मूलतः बिहार राज्य के आरा जिले के रहने वाले पंकज मिश्रा पढ़े लिखे किन्तु साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सी आर पी एफ के जागरूक युवा सैनिक हैं। पंकज की माने तो 24 अप्रैल 2017 बस्तर बुर्कापाल नक्सली हमले में 74 वी बटालियन में तैनात अपने भाई को खो दिया था। ये वो दौर था जब देश मे एक जवान के बदले 10 दुश्मन का सर लाने का दावा करने वाली केंद्र और राज्य में bjp की सरकार थी।
जबकि इसके उलट अकेले इस वर्ष 2017 में बस्तर में तीन बड़े नक्सली हो चुके थे जिनमें क्रमशः 11 मार्च सी आर पी एफ 219 के 12 जवान,4 अप्रैल को 7 लैंडमाइन विस्फोट में छ ग पुलिस के 7 जवान फिर 24 अप्रैल 2017 को सुकमा जिले के बुर्कापाल में 76 वीं बटालियन के 26 जवानों की नक्सल हत्या हो चुकी थी । इधर उत्तर पूर्व के अलगाववादी हमलों के अलावा जम्मू-कश्मीर में जारी नियमित आतंकी हमलों लागतार सुरक्षा बल के जवान शहीद हो रहे थे। ऊपर से कश्मीरी पत्थरबाजों ने 4 सी आ पी एफ जवानों सहित 2 जम्मू कश्मीर पुलिस जवानों को पत्थरों या लाठी डंडों से पिट कर मार डाला था। समूची घटनाओं में देश के कथित 56″सरकार के कागजी शेर गृह मंत्री केवल बयान बाजी और श्रद्धांजलि सभा मे निंदा/भर्त्सना करते दिख रहे थे।
इधर बुर्कापाल हमले में अपने भाई सहित 26 crpf जवानों की सहादत ने पंकज मिश्रा को भावनात्मक रूप से तोड़ कर रख दिया था। उन्होंने नक्सल मोर्चों पर सरकार की गलत नीति और असफलता को आड़े हांथो लिया,फिर लाइव वीडियो में सीधे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से सवाल कर दिए। यद्यपि सवाल में कुछ भी ऐसा तथ्य नही था जिसे अपराधिक श्रेणी में रखा जाता। परन्तु एक साधारण से सैनिक का केंद्रीय गृह मंत्री से सवाल करना सिस्टम में बैठे ताकतवर लोगों को नागवार गुजरा। बस फिर क्या था,सिस्टम में दोष के विरुद्ध आवाज उठाने वाले बाकी जवानों जिनमें शेषनाथ पांडे (crpf) नवरतन चौधरी,जलील मोहम्मद,सुजोय मंडल,तेज बहादुर की श्रेणी में आ गए। उन्हें महीनों असम की जुरहट जेल में अकारण बन्द किया गया। जहाँ से वो जमानत पर रिहा हुए हैं। .
*चुनाव में धन-अभाव बड़ी समश्या है,पर हौसले बुलंद है,2 से 3 हजार जवान वर्दी में बनारस की गलियों में घूमकर लोगों से वोट देने की अपील करेंगे*- * देश के अधिकांश सुरक्षा बलों में व्याप्त अनियमितताओं,भर्राशाही और तानाशाही के विरुद्ध मुखर रूप से आवाज उठाने वाले bsf जवान तेज बहादुर यादव के बनारस से नामाकंन भरे जाने के फैसले को लेकर जहां देश की मीडिया में सनसनी फैला हुई है। वही सेना/अर्धसेना से निलंबित या बर्खास्त किये हुए अथवा देश सेवा के नाम पर मजबूरन अमानवीय यातनाएं झेल रहे सेवारत जवानों में भारी उत्साह है। उन्हें तेजबहादुर के फैसले पर गर्व है,पंकज कहते हैं कि रोजाना उन्हें सैकड़ो मैसेज आ रहे है,कि आप भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के विरुद्ध उनके संसदीय लखनऊ से पर्चा भरें। लेकिन हम जवानों के पास नौकरी में मिलने वाले वेतन के अलावा आय का दूसरा कोई साधन नही होता है। हमारी तो नौकरी भी हमारे सच बोलने के कारण गृह मंत्री जी छीन चुके है। तो इन परिस्थितियों में चुनांव लड़ने की क्षमता उनमे नही है। हमने सोंचा बनिस्पत राजनाथ सिंह के विरुद्ध पर्चा डालने के सीधे भाजपा के वन मेन शो देश के कथित जुमले बाज चौकीदार नरेंद्र मोदी जी के विरुद्ध चुनांव लड़ने की घोषणा करने वाले bsf के जवान तेज-बहादुर यादव का हाँथ मजबूत किया जाए। इसके पीछे की वजह बताते हुए पकंज कहते है,आज पूरा देश जानता है कि भाजपा अब लोकतांत्रिक पार्टी नही रही वहां नरेंद्र मोदी के विरुद्ध बोलने का अधिकार पार्टी के दिग्गज नेताओं को भी नही है। हमारी भाजपा नेताओं से व्यक्तिगत दुश्मनी नही है। हम जवानों ने ही वर्ष 2013 में बड़ी अपेक्षाओं के सांथ देश की सत्ता भाजपा को दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी। परन्तु साहब तो सत्ता में आने के बाद ही आदतन पलटी बाज की तरह हम जवानों की समश्या का समाधान करने की बजाए उनके ही विरुद्ध हो गए। उपर से देश की सुरक्षा व्यवस्था में भी उनकी असफलता को सबने देखा है। यही नही सेना और अर्धसेना के जवानों से किये वायदों से भी चौकीदार मुकर गए। बीते पांच सालों में उन्होंने हम जवानों के लिए कुछ नही किया। अतः समय आ गया है कि झूठ और जुमलों का लबादा ओढ़े देश के नकली चोकीदार को असली पहरेदार तेज बहादुर से चुनाव लड़वाने के बहाने मिलवाया जाये। रही तेज बहादुर जी की बात तो आप खुद पता करिए देश के कई राज्यों में रहने वाले हजारों/ लाखों सेना/अर्धसेना के निलंबित/बर्खास्त/रिटायर्ड जवानों की हार्दिक इच्छा है कि तेजबहादुर बनारस से मोदी जी के खिलाफ न केवल चुनांव लड़े बल्कि जीत भी दर्ज कराए। – *देश भर से हजारों की संख्या में जवान तेजबहादुर के समर्थन में बनारस की गलियों में उतरेंगे*- — पत्रकार वार्ता के दौरान अपनी बात बोलते हुए पकंज मिश्र कहते है कि आप यकीन मानिए तेज बहादुर के चुनाव प्रचार में पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, .नगालैण्ड,असम से गुजरात और कश्मीर से केरल तक से 2 से 3 हजार सिस्टम से पीड़ित सेवा मुक्त/रिटायर्ड जवान उनके सम्पर्क में है। वे सब अपनी वर्दियों में बनारस आने को तैयार है। इतना ही नही वर्तमान में सेना/अर्धसेना में कार्यरत जवान भी तेजबहादुर जी के फैसले के सांथ खड़े है। वे सब मानते है कि तेजबहादुर की जागरूकता से सेना/अर्धसेना में जवानों को मिलने वाली सुविधाओं और अधिकार दोनो में काफी सुधार आया है। हम सबका सामूहिक प्रयास रहेगा कि बनारस संसदीय क्षेत्र से इस बार bsf के बर्खाश्त जवान तेज बहादुर ऐतिहासिक मतों से जीत कर आएं। जल्दी ही हम सब बनारस के मतदाताओं के बीच उनसे समर्थन मांगने के लिए खड़े होंगे। ।। *मोदी सरकार ने सेना और जवानों के नाम पर राजनीति तो की परन्तु उनके लिए किया कुछ नही,हमने व्यवस्था में सुधार ही तो मांगा था,आज चुनाव लड़ने को तैयार कर दिया*- आपने देखा होगा वर्ष 2013 में भारतीय सेना के शहीद हेमराज और सुधाकर जिनका सर काट कर पाकिस्तानी बैट ले गए थे। उन्हें लेकर तब भाजपा के स्टार प्रचारक हमारे पी एम साहब ने न केवल देश की जनता बल्कि हम जवानों की भवानाओं से ऐसा खेल खेला कि,2014 में ऐतिहासिक जीत के सांथ सत्ता में आ गए। हम जवानों ने एकतरफा मोदी को वोट दिया। लेकिन ये क्या सत्ता में आये दो साल भी नही बीते थे,पठानकोट,उरी, जालन्धर आतंकी हमले के अलावा दो दर्जन बड़े-छोटे माओवादी हमले हुए जिसमे बड़ी संख्या में जवानों की जान गई। कश्मीर से पूर्वोत्तर अलगाववादियों को जवाब देने में केमदर सरकार पिरि तरह असफल रही । हां आर्मी के सर्जिकल स्ट्राइक का बाजारीकरण बखूबी किया। अभी वर्तमान में पुलवामा हमले में शहीद 45 सी आर पी एफ जवानों की सहादत को भी अपनी पार्टी के पक्ष में बड़ी बेशर्मी से भुनाया। आज भी वो एक तरफ सरकार की कागजी उपलब्धियों की जगह शहीद जवानों के नाम पर वोट मांग रहे है।