संघर्ष समिति के प्रेस कांफ्रेंस के बाद प्रशासन में हडकंप मच गया हैं ,पहले यह कहा गया कि हिरोली पंचायत का सचिव दस्तावेज लेकर फरार हो गया है .आठ दिन पुलिस उसे खोज रही हैं लेकिन उसका पता नही चल रहा हैं .इसलिए फर्जी ग्राम सभा की जांच कैसे होगी .आंदोलनकारीयों ने 15 दिन का समय दिया था वह धीरे समाप्त हो रहा था.सरकार की मंशा पर संदह होने पर जब पंचायत संघर्ष समिति ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि सरकार के पास पंचायतों के सभी दस्तावेज पहले से ही रखें हैं क्योंकि उन्ही फर्जी दस्तावेज के आधार पर ही वनविभाग और जिला प्रशासन ने स्वीकृति दी थी.
तब जाकर अब जिला प्रशासन ने यह माना कि सभी कागजात उसके पास प्राप्त कर लिये गये हैं .
प्रशासन ने हरोली ग्राम के 108 ग्रमीणों को नोटिस जारी करके उन्हें 24 जून को गवाही ओर जांच के लिये बुलाया गया हैं कि वे आकर अपने हस्तक्षार या अंगूठे का सत्यापन करे कि ग्राम सभा के दिन वे उपस्थित थे या नहीं या उनके फर्जी हस्ताक्षर किये गये हैं।
अभी जांच एसडीएम नूतन कंवर कर रहे है ,जांच में पंचायत संघर्ष समिति के 15 सदस्यों को भी शामिल किया जायेगा इसके लिये समिति के नामों को कलेक्टर से स्वीकृति के लिये भेजा गया हैं .स्वीकृति के बाद इन नाम को भी जोड लिया जायेगा .
पंचायत संघर्ष समिति के लोग सरकार की जांच प्रक्रिया से बेहद नाराज है उन्हें लगने लगा है कि सरकार ने आंदोलन की गति धीमी करने के लिये समझोते का झांसा दिया था ।अब अगर सही में सरकार गंभीरतापूर्वक कोई निष्कर्ष नहीं निकालती तो संघर्ष पुनः शुर करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं हैं.
पंचायत संघर्ष समिति चाहती हैं कि यदि जांच में यह पाया जाये कि ग्राम सभा फर्जी थी तो उसके आधार पर मिली स्वीकृति को तुरंत रद्द करे और राज्य शासन ने जो पहले सहमति दी थी उसे वापस ले.
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