अभिव्यक्ति हिंसा

वेव मीडिया पत्रकार अभिषेक झा पर हुआ जानलेवा हमला. पत्रकारों की सुरक्षा रहती है हमेशा खतरे में.

जावेद अख्तर, एससीजी न्यूज़…रायपुर

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पत्रकार पर जानलेवा हमला हुआ है। वेब मीडिया के पत्रकार अभिषेक झा पर बीती रात शराब के नशे में धूत आधादर्जन लोगों ने लाठी डंडे से पीट पीटकर अधमरा कर दिया। 12 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अब तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर बढ़ रहे हमले को लेकर पत्रकारों ने रायपुर एसपी से मुलाकात कर मुख्यमंत्री और डीजीपी के नाम ज्ञापन सौंपा है और साथ ही आरोपियों पर 24 घंटे में कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

आपको बता दें कि इससे पहले भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर इस तरह के प्रहार किए गए है बीते दिनों एकात्म परिसर भाजपा कार्यालय में बीजेपी के कार्यकर्ताओं द्वारा सुमन पाण्डेय वेब पोर्टल के पत्रकार के साथ हाथापाई की गई थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने का दावा किया था। नई सरकार बने छः माह होने को है लेकिन आज तक पत्रकार सुरक्षा को लेकर ड्राफ्ट तक तैयार नहीं किया जा सका है। कुल मिलाकर इस बार भी पत्रकारों को बाबा जी का ढुल्लू ही मिलने वाला है। नये नयेे मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल के तमाम वादे और दावें भी हवाहवाई साबित होते प्रतीत हो रहे।

फिलहाल पत्रकार पर हमला होने के बाद तमाम संगठनों ने ज्ञापन सौंपना शुरू कर दिया है, इससे सरकार और प्रशासन कितना दबाव में आएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

परिस्थितियां देखकर स्पष्ट हो रहा कि पत्रकारों को संगठनों की बजाए स्वंय अपनी अपनी जिम्मेदारी पर एकजुट होकर आंदोलन करने पर ज़ोर देना चाहिए। क्योंकि संगठनों की प्रासंगिकता मात्र वाहनों पर स्टीकर व बोर्ड तक ही सीमित हो चुकें हैं। अब पत्रकारों को संगठनों से निकलकर एक दूसरे से संवाद व संपर्क कर स्वतंत्र रूप से एकत्रित होकर बड़े आंदोलन पर विचार करने की सख्त आवश्यकता है अन्यथा दो चार महीने में एकाध पत्रकार पिटता ही रहेगा और बाकी सब भी पूर्व की भांति ही होता रहेगा। जब तक सरकार और मुखिया की बधिया नहीं उखाड़ी जाएगी तब तक पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सिर्फ आश्वासन का ही खेल खेला जाता रहेगा, जैसे कि पूर्ववर्ती सरकार ने पंद्रह सालों तक झुनझुना पकड़ाया है ऐन ठीक वैसे ही नई सरकार भी पांच सालों तक झुनझुना पकड़ा कर काम चलाएगी। जाग सकतें हैं तो जागिए और आपस में संपर्क व संवाद स्थापित कीजिए बिना बड़े छोटे पत्रकार का फर्क किए। वरना सबको पता है कि आगे क्या होगा और हो सकता है।

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