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लाठियों के साये में लोकतंत्र ःः ईवनिंग टाइम्स में आज शाम की बात.

19.09.2018 बिलासपुर 

शहर के विकास के सवाल पर कांग्रेस ने आंदोलन प्रदर्शन किया। भारी पुलिस बल के बावजूद मंत्री निवास का घेराव किया और कचरा भी फेंका।

■   कांग्रेस भवन में घुसकर पुलिस ने लाठियां         बरसाई। दौड़ा – दौड़ा कर पीटा कांग्रेसियों को। कई घायल। 

■  जिसे जो छापना है छाप ले, मेरा कोई कुछ नहीं          बिगाड़ सकता.

* नीरज चंद्राकर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक.

अपने अमनपसंद शहर में कल जो कुछ हुआ वह उपरोक्त पंक्तियों में समाहित है। कल शाम को ही हमने इसे विस्तार से छापा। आज के सभी अखबार पुलिस बर्बरता की इस ख़बर से भरे पड़े हैं। छत्तीसगढ़ का सबसे शांत कहलाता है अपना शहर। आपसी सद्भाव और भाईचारे की मिसाल है बिलासपुर। संस्कारधानी और न्यायधानी भी है बिलासपुर। यहां की राजनीति में प्रतिद्वंदिता खूब है पर घृणा नही, नफ़रत नही । राजनीतिक दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं के आपसी सम्बन्ध बहुत मधुर रहे हैं / हैं भी । एक साधारण आदमी बी आर यादव ने अठारह बरस तक प्रतिनिधित्व किया और सबको लेकर चले । किसी से बदला लेने का तो सवाल ही नही , भले ही कोई कितना भी विरोधी हो । मंत्री अमर अग्रवाल अक्सर यादवजी की इस खासियत का उदाहरण देते और कहते रहे हैं कि यही तो बिलासपुर की तासीर है । और अमर अग्रवाल ने भी किसी से बदला लेने की राजनीति तो नही की । अब  किस तरह सबको “साथ” लिया और “साधा” यह कोई छिपी बात तो है नही अब । अमर अग्रवाल बहुत पॉवरफुल मंत्री हैं। मुख्यमंत्री के बाद उन्ही का नम्बर आता है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अच्छे से जानते है और प्रथम नाम से बुलाते हैं क्योंकि वे लखीराम अग्रवाल के सुपुत्र हैं । एक समय लखीराम अग्रवाल ही भाजपा थे। अब इतने शक्तिशाली मंत्री के निवास पर कांग्रेसियों ने प्रदर्शन किया और कचरा फेंककर घर गन्दा कर दिया । वह भी तब, जब एडिशनल एस पी सहित सैकड़ों पुलिस वाले मंत्री के निवास की रक्षा कर रहे हों । और जिले में मुख्यमंत्री आये हुए हों । इस “गुस्ताखी” की सज़ा तो मिलनी ही थी कांग्रेसियों को । हालांकि कचरा फेंकने के बाद बेचारे डर गए और एडिशनल एस पी के पास गए भी कि साहब हमें गिरफ्तार कर लो । पर नही किए , तो चले गए कांग्रेस भवन । और पीछे पीछे पहुंचे पुलिस वाले । कांग्रेस भवन में घुसकर जमकर पिटाई की । अटल श्रीवास्तव को तो पटक पटक कर लाठी , लात , जूतों से पीटा। महिलाएं भी कहाँ बचतीं ? वे भी पिटी और घायल हुई ।इस लाठीचार्ज का आदेश किसी ने नहीं दिया था । एडिशनल साहब से पूछने पर गुस्सा हो गए, को छापना है छाप लो । मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता । घायल कांग्रेसी थाने और अस्पताल में हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे “झीरम 2 ” की साज़िश कहा है । भाजपा ने कहा है कि पुलिस ने जो किया ठीक किया । पुलिस तो कितनी अच्छी है, रात दिन मेहनत करके हमारी सेवा करती है ।

          हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रह रहे हैं । जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी है और धरना,प्रदर्शन विरोध के स्वाभाविक हथियार। हिंसा की इसमें कोई जगह नहीं। विरोध को कुचलना मतलब लोकतंत्र को ही कुचलने की कोशिश । कल पुलिस ने कुछ ऐसी ही कोशिश की । पुलिस को यह “ताकत” कहाँ से मिली ? जिस शहर में आई जी स्तर के अधिकारी की पोस्टिंग हो, वहां एडिशनल एस पी की इतनी हिम्मत होने के कई मायने हैं । हमारे मंत्री, सांसद, विधायक ही तो प्रशासन को नियंत्रित करते हैं । यानी बिना इनकी मर्ज़ी के अफसर कुछ नहीं कर सकते। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है , जो दुर्भाग्यवश बदसूरती ज्यादा बनते जा रही है। एक दल सत्ता में होता है और बाकी दल विपक्ष में। विपक्ष धरना,प्रदर्शन करते रहता है । कभी भाजपा यह करती थी आज कांग्रेस कर रही है। इसी कांग्रेस के राज में एक भाजपाई सांसद को पुलिस ने इतना मारा कि बैसाखियों के सहारे उन्हें चलना पड़ा।( उस समय नीरज चंद्रकर काफी छोटे रहे होंगे। आज बहुत बड़े हो गए हैं । ) लेकिन इस तरह की बर्बरता का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं। अगर सत्ता और उसके अफसरों को ऐसा लगता है कि लाठियां चलाकर, गोलियां बरसाकर अपनी कुर्सी के पाए बचा पाएंगे तो यह उनकी गलतफहमी है। ऐसी लाठियों को ताकत अहंकार से ही मिलती है। और अहंकार तो किसी का नहीं रहने वाला । ज्यादा अच्छा होता कि मंत्री अमर अग्रवाल अपनी पुलिस की बर्बरता को गलत मानते और करवाई की बात करते । बिलासपुर के सद्भाव का पालन करते हुए अस्पताल जाकर घायलों का हाल पूछ लेते । इससे अहंकार पर चोट नहीं पड़ती उनका कद ही ऊंचा होता । पुलिस का क्या है कल सत्ता बदली तो ये लाठियां उनपर नही बरसेगी इसकी कोई गारंटी है क्या ? बहरहाल कल का दिन बिलासपुर के लिए शर्मनाक और लोकतांत्रिक व्यवस्था में काला दिन ही कहा जायेगा। अब किसी को इन सब पर गुस्सा तो आता नहीं । कांग्रेसियों के बहे खून और पुलिस की लाठियों के शोर के बीच मंत्रीजी के जन्मदिन का जश्न भी मन जाएगा , और फिर सब जुट जाएंगे चुनावी तैयारियों में । लोकतंत्र का सम्मान करते हुए हम सब चुपचाप वोट डाल आएंगे । इतने ताक़तवर राजाओं के राज में हम और कर भी क्या सकते हैं .

– नथमल शर्मा

ईवनिंग टाइम्स में आज शाम की बात

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