मेरा कातिल ही मेरा मुंसिब है , क्या मेरे हक में फैसला देगा . . . जो भी देशा खुदा देगा , गालिब ने कुछ ऐसा ही घरघोड़ा क्षेत्र की परिस्थितियों को दूरदर्शी नजरों से देखकर कहा होगा ।
रायगद @ किरणदूत
दरअसल जिले के घरघोड़ा क्षेत्र में स्थित टीआरएन एनर्जी और महावीर कोल बेनीफिकेशन कंपनी के निर्माण में आदिवासियों की जमीन को गैर कानूनी तरीके से खरीदी – बिक्री का आरोप उद्योग के स्थापना के समय से ही लगता रहा है । ऐसे में यहां उसी एसडीएम के पास मामले की फाईल पड़ी हुई है जिनके रहते प्रभावितों ओर जमीन की फर्जी खरीद फरोख्त की शिकायतें होती रही हैं अब जाकर हाई कोर्ट ने जो निर्देश शासन को दिया है उससे प्रभावित किसानों में न्याय की उम्मीद जागी है ।
वहां के सैकड़ों प्रभावितों ने अपनी जमीन की फर्जी रजिस्ट्री का आरोप लगाते हुए घरघोड़ा अनुविभागीय कार्यालय में मामला दायर किया था । लेकिन सालों बाद भी यहां से उन्हें अब तक न्याय नहीं मिला है । कंपनियों ऊंचे रसूख और एक मीडिया हाऊस से संबंध होने नाते प्रशासन उनकी नहीं सुन रहा है और वो इसी कारण से सालों से न्याय से वंचित हो रहे हैं ।
क्या है पूरा मामला
घरघोड़ा क्षेत्र में टीआरएन और महावीर कोल बेनिफिकेशन कंपनी भेगारी नवापारा और टेण्डा में स्थित हैं । इनकी ओर से आदिवासियों के जमीनों को विना रामति फर्जी एवं बेनामी अंतरण कराए जाने की शिकायतें प्रभावितों की ओर से तगातार संबंधित अधिकारियों और संस्थाओं को की जाती रही हैं । घरघोड़ा के एसडीएम कार्यालय में पिछले तीन साल से भी ज्यादा समय से भू | राजस्व संहिता की धारा 170 ख धोखाधड़ी से हस्तांतरित भूमियों के वापसी हेतु मामला लंबित है । लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हो पा रही है । ऐसे में प्रभावित लोगों की ओर से यह मांग की जाती रही है कि इनका मामला कंपनी प्रभाव क्षेत्र से बाहर सुना जाए ताकि मामले की निश्पक्षता बरकरार रहे । साथ ही प्रभावित किसानों का यह भी कहा था कि घरघोड़ा में एसडीएम एके मार्वल पदस्य हैं । लेकिन वो जब पूर्व में यहां पदस्य थे उसी समय कंपनियों की ओर से आदिवासियों की जमीन को गलत तरीके से खरीदा बेचा गया है ऐसे में एसडीएम के खिलाफ भी उच्च स्तरीय जांच हो । उपरोक्त तीन बिन्दुओं मांग पत्र को प्रभावित किसानों की ओर से कलेक्टर रायगढ़ को दिया गया था लेकिन इनकी मांगों में कोई विचार नहीं हो सका । लिहाजा पीड़ितों की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन लगाया ।

हाईकोर्ट ने कहा केस को ट्रांसफर करें
प्रभावित पक्ष की ओर से हाईकोर्ट अधिवक्ता रजनी सोरेन ने पैरवी की और स्थानीय स्तर पर आदिवासी नेता एवं अधिवक्ता डिग्रीप्रसाद चौहान की ओर से किया गया प्रयास सफल रहा और हाईकोर्ट ने यह माना कि आदिवासियों के जमीन से जुड़े इन मामलों की सुनवाई वर्तमान एसडीएम कार्यालय में नहीं हो सकती है । इसलिए हाईकोर्ट ने कलेक्टर के माध्यम से शासन को नोटिस भेजा कि इन मामलों की वो कहीं और ट्रांसफर करें जहां मामले की सुनवाई किसी प्रकार से प्रभावित न हो सके ।
***