मुख्य सचिव को कार्यवाही का निर्देश
बिलासपुर . नई दुनिया प्रतिनिधि
हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहित मुआवजा राशि का भुगतान करने के लिये अधिकारियों द्वारा 10 प्रतिशत कमीशन मांगने को गंभीरता से लिया है । कोर्ट ने इसे आर्थिक अपराध बताते हुए आदेश की प्रति महाधिवक्ता के माध्यम से सचिव को भेजने के निर्देश दिए हैं । प्रदेशभर में अवॉर्ड भुगतान संबंधित मामलों की रिपोर्ट करने कारवाई करने के निर्देश दिए . मामले की अगली सुनवाई 28 जून को होगी ।
जांजगीर – चांपा जिला के ग्राम तरौद निवासी नारायण प्रसाद की भूमि वर्ष 2016 में अधिग्रहण किया गया था. अधिग्रहित भूमि के लिये अगस्त 2014 में अवॉर्ड पारित किया गया . इसके बाद भी एसडीएम राजस्व द्वारा मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया.
इसके नारायण प्रसाद ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से याचिका दाखिल की . को र्ट ने जनवरी 2019 को भूमि अधिग्रहण अधिकारी को चार अगस्त 2016 से 18 प्रतिशत ब्याज सहित स्वामी को मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया । आदेश पालन नहीं होने पर भूमि स्वामी ने एसडीएम ( राजस्व ) व प्रशिक्षु आइएस राहुल देव गुप्ता को पक्षकार बनाते हुये अमानना याचिका दाखिल याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुशोभित सिंह ने कोर्ट को बताया कि अधिग्रहण अधिकारी जनता से मुआवजा राशी पर दस फीसदी राशी की मांग करता हैं .
जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने इसे गंभीरता से लेते हुये कहा कि मुआवजा वितरण में विलंब को लेकर जनता कोर्ट में आ रही हैं इसके और भी मामले हैं । मुआवजा वितरण में कोई विवाद नहीं होने के बाद रोका गया है .
कोर्ट ने महाधिवक्ता के माध्यम से राज्य के मुख्य सचिव को आदेश भेजने और मुआवजा वितरण के लंबित मामले में विस्तार से रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. आदेश में कहा गया हैं कि कोर्ट को उम्मीद है कि महाधिवक्ता और मुख्यसचिव इसे स्वीकार करके प्रकरण को आर्थिक अपराध अनुसंधान ईओडब्ल्यू को उचित कार्यवाही के लिये भेजेंगे .
**