भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्रस्तावित संशोधन के विरुद्ध प्रदेश स्तरीय सम्मेलन: 23 अगस्त : रायपु
जैसा कि आप परिचित है कि भारतीय वन कानून 1927,(भावका) में वृहद् संशोधन का पहला मसौदा भारत सरकार ने तैयार कर लिया है. जिसका मसौदा पर्यावरण मंत्रालय ने 3 महीने के भीतर राज्य सरकारों से सुझाव प्राप्त करने की नीयत से मार्च 2019 में जारी किया था.
भावका जैसे औपनिवेशिक कानून का संशोधन या पूर्णतः बदलाव एक गैर-जरुरी कदम है, विशेषकर, जब स्वतंत्र भारत की संसद ने पेसा, जैव-विविधता और वन अधिकार जैसे कानून को पारित किया हो. जबकि, इसमें प्रस्तावित संशोधन, पूर्णतः विपरीत दिशा में किये जा रहे हैं, जो स्वतन्त्रेतर भारत में लाये गए प्रगतिशील कानूनों को न सिर्फ पूरी तरह नज़रंदाज़ करता है, बल्कि वनों के केंद्रीकृत, नीति-उन्मुखी और अधोगामी शासन संरचना को मज़बूत करता है.
ऐसी परिस्थियों को देखते हुए, जहाँ वन निर्भर समाज के वनाधिकारों पर चौतरफा हमले हो रहे हो, भावका में प्रस्तावित क्रूर और अधिकारों को हड़पने वाले संशोधनों पर समझ बनाने के लिए एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन ऑक्सफैम इंडिया द्वारा होटल ग्रैंड राजपुताना, रेलवे स्टेशन के पास, रायपुर में दिनांक 23 अगस्त 2019 (दिन शुक्रवार) को सुबह 10 बजे से किया जा रहा है.
प्रदेश में आदिवासी व वन अधिकारों के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे जनसंगठन, समूहों व संस्थाओं से छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच इस कार्यक्रम में भाग लेने का अनुरोध करता है, ताकि भावका के प्रस्तावित संशोधनों को समझ कर, इसके पुरजोर विरोध की रणनीति तय की जा सके.
आपके साथी
विजेंद्र केशव गुरनुले बेनीपुरी गोस्वामी आलोक शुक्ला