लोकसभा चुनाव की गहमागहमी में कुछ गंभीर बातें .
आनंद मिश्रा , जाने माने समाजवादी चिंतक और राजनैतिक कार्ययकर्ता .नंद कश्यप, वामपंथी आंदोलन और सामाजिक कार्यकर्ता से चर्चा की मानवाधिकार कार्यकर्ता डा. लाखन सिंह .
चर्चा के प्रमुख बिंदु कुछ निम्न रहे.
*लोकसभा चुनाव लगभग आधा निबट चुका है .आपका असिस्मेंट क्या है. आपको नहीं लगता कि सब पक्षीय प्रचार का माहौल बना दिया गया हैं.
- आज राजनैतिक इतिहास का सबसे संकट कालीन समय है .जब संविधान के मूल तत्व पर हमला हो रहा है. लोकतंत्र ,संवैधानिक संस्थाओं और भारत की मूल संस्कृति पर संकट है.
- भारत ने इसके पहले भी आपातकाल से लेकर और भी कई एकाधिकार के खतरे का सामना किया है .उसमे और आज की परिस्थितियों में क्या फर्क दिखता है.
- मीडिया चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रि्ंट इनका समर्पित होना या इनका खुद एक राजनैक विचार में विलय होना दिखता हैं , क्या यह अस्थायी संकट है जो सत्ता बदलते ही ठीक हो जायेगा.
*.समाज में जो इतना तेजी से विभाजन दिख रहा है उसकी प्रकृति क्या है। - पहले खुद मोदी ,फिर योगी और अब प्रज्ञा सिंह की राजनैतिक स्वीकृति का सांप्रदायिक विचार क्या स्थाई भाव दिखाई देता हैं.
*.राष्ट्र वाद , सेना का स्तेमाल .राजकीय हिंसा हो या युद्ध के प्रति लोगों का झुकाव क्या गंभीर खतरा नहीं हैं . - अपने ही देश की जनता के खिलाफ़ युद्ध सी स्थित का निर्माण को आप कैसे देखते हैं ।चाहें वह बस्तर हो ,काशमीर हो या पूर्वी भारत.
- और आखिर में फिर वही कि 23 मई के बाद क्या बदलाव दिखाई देता हैं.
चर्चा कुछ लंबी होना ही थी . करीब 54 मिनट की बातचीत सुनिये …