11 अप्रेल 2019
बस्तर में दंतेवाड़ा के कुआकोंडा क्षेत्र में नक्सलियों ने महज़ चुनाव के 48 घंटे पहले 09 अप्रेल को चुनाव प्रचार के दरमियान भाजपा विधायक भीमा मंडावी और उनकी सुरक्षा दस्ते पर ब्लास्ट कर उनकी हत्या कर दी है ।इस घटना की खबर से लोकतंत्र और अमन पसंद लोगों को गहरा आघात पहुंचा है । पी यू सी एल की छत्तीसगढ़ इकाई इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए नक्सलियों के इस हरकत और कारित चुनावी हिंसा को लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में बाधक मानते हुए इस घटना की कड़ी निंदा करती है ।
आज छत्तीसगढ़ सहित देश के 91 सीटों पर प्रथम चरण का मतदान शुरू हो चुका है । बस्तर में जबकि नक्सलियों ने आम चुनावों की घोषणा के साथ ही बैनर, पोस्टर और पर्चियों के माध्यम से चुनाव बहिष्कार का फरमान जारी किया है, ऐसी परिस्थितियों में यह रेखांकित करना आवश्यक है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी प्रचार के लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सुरक्षा के समुचित प्रबंधन में निर्वाचन आयोग और जिम्मेदार मशीनरी भी विफल साबित हुआ है ।
यह उल्लेख किया जाना आवश्यक है कि बस्तर में नक्सलियों के गत तीस से भी अधिक वर्षों के प्रभाव के बावजूद संसदीय लोकतंत्र अपनी तमाम कमजोरियों, ढेरों विफलताओं और हर तरह की बाधाओं को झेलते हुये आज भी जनता के अपेक्षाओं पर अधिक खरा है ।कारण स्पष्ट है भिन्न राजनीतिक दलों और विचारधारात्मक विविधताओं के मध्य असहमतियों पर परस्पर सहनशीलता संविधान और लोकतंत्र की मूल भावना है ।
पी यू सी एल छत्तीसगढ़ की राज्य इकाई जबावदेह सरकारों और संस्थानों से यह मांग करती है कि पूरी घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए संविधान और लोकतंत्र के प्रति लापरवाह तंत्र को दुरुस्त किया जावे । साथ ही संघर्ष क्षेत्र में अतिवादी- चरमपंथी ताक़तों को ताक़ीद करती है कि ऐसी घटनाओं के कारित होने से अंततः निरीह आदिवासी जनता ही उत्पीड़ित होगी ।