3 मार्च की दोपहर बिलासपुर शहर के मौसम ने अचानक करवट ली और धूप बदल कर बारिश बनी और फिर ओले गिरने लगे। शुरुआत में छोटे फिर बड़े ओले गिरे। ये ओलावृष्टि लगभग 10 मिनट से भी ज़्यादा समय तक चली।
मौसम विशेषज्ञ नन्द कश्यप ने कहा कि लगभग 15 वर्षों बाद बिलासपुर में इतने बड़े आकार के ओले गिर रहे हैं।
इस ओलावृष्टि ने देखने वालों का मन तो रोमांचित किया लेकिन घरों गार्डन मे लगे पौधों का, नर्सरी में बिकने के लिए रखे मौसमी फूलों का, बाड़ियों में लगी सब्ज़ियों का इन ओलों ने बुरा हाल कर दिया होगा। लाखों का नुकसान होने कि संभावना है।
इस दौरान रुक-रुक कर बारिश होती रही और कई इलाकों में देर तक बिजली गुल रही।





क्यों गिरते हैं ओले?
हम ज्यों-ज्यों सागर की सतह से ऊपर उठते जाते हैं, तापमान कम होता जाता है। तभी तो लोग गरमी के मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं। नीचे धरती पर तापमान कितना भी हो, ऊपर आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो सकता है। पानी को जमा देने वाला। हवा में मौजूद नमी पानी की छोटी-छोटी बूँदों के रूप में जम जाती है। इन जमी हुई बूँदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों में बदल जाता है। जब ये गोले वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूँदों में बदल जाते हैं। अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।