● अनुज श्रीवास्तव .
बिलासपुर .1.02.2019
अगर आप इस बात का इंतज़ार कर रहे हैं कि जब आपका बच्चा मरेगा तब बोलेंगे….तो जान लीजिये के आपकी ये चुप्पी वो समय भी जल्द ही ले आएगी.
सिम्स में 22-01-2019 को हुए शार्ट सर्किट से आग लग गई. नियो-नेटल केयर यूनिट (गहन नवजात चिकित्सा इकाई) में धुआं भर गया.
नवजात शिशुओं को आनन-फानन में जिला चिकित्सालय भेजा गया जहां कई घंटों तक वे ज़रूरी स्वस्थ्य सुविधाओं से दूर रहे. NICU में रखे गए किसी भी नवजात को एक मिनट के लिए भी ज़रूरी स्वस्थ्य सुविधाओं से दूर रखना उसके लिए बहुत घातक हो सकता है और सिम्स की इस घटना में यही हुआ है. कई घंटों बाद उन्हें निजी अस्पतालों में भेजा गया पर तब तक कईयों की हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी. अलग-अलग अस्पतालों में रिफ़र किये गए इन नवजातों में से 5 की अब तक मौत हो चुकी है. निजी अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया कि ये मौत धुंए से दम घुटने की वजह से हुई है. सिम्स शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश नहरेल व सिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बी.पी. सिंह पत्र जारी जारी कर कह रहे हैं कि किसी की भी मृत्यु धुंए के कारण नहीं हुई है.
● ऐसी घटनाओं को टालने के लिए, ज़िले के एकमात्र मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षित टेक्निशियंस और इलेक्रिशियांस की नियुक्ति क्यों नहीं की है???
● स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर छत्तीसगढ़ के 2015 में जारी एक ख़त से मालूम चलता है कि आपदा प्रबंधन(जिसमे फ़ायर डिज़ास्टर भी शामिल है) के प्रशिक्षण के लिए 10 लाख रूपए जारी किए गए और 14.5लाख रूपए अतिरिक्त मांगे गए थे. इतना ख़र्च करने के बावजूद ये कैसा आपदा प्रबंधन है???
● आँखों के सामने दिख जाने जितनी अव्यवस्था फैली होने के बावजूद सेफ़्टी ऑडिट रिपोर्ट में सिम्स को A ग्रेड कैसे दे दिया जाता है???
● ये पहली घटना नहीं है कुछ महीने पहले मेटर्निटी भी ऐसी घटना हो चुकी है. घटना के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर अब तक कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई है???
● इस घटना के बाद निजी अस्पतालों में भेजे गए नवजात शिशुओं के इलाज और उनके परिजनों के ठहरने व खाने की व्यवस्था शासन की तरफ़ से अब तक क्यों नहीं की गई है???
● नेता जी के फीता काटने की ख़बर को 5 कॉलम, और अस्पताल में केला बांटने की विज्ञप्ति को भी जो बड़ी फ़ोटो के साथ 3 कॉलम में छापते हैं…उनके लिए 5 बच्चों का मर जाना ज़रूरी समाचार क्यों नहीं है???
खैर छोड़िए…नेताजी के भाषण, जीत, जन्मदिन और आगमन की बधाई छापने में मशगूल गजट, ग़रीब के बच्चे की मौत छापे भी तो क्यों…ये न विज्ञापन देता है, न चुनाव लड़ता है, न लिफ़ाफ़े बांटता है
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