शिवपुरी जिले के दो मासूम बच्चों रौशनी (12 वर्ष) और अविनाश (10 वर्ष) की लाठियों से पीट पीट कर ह्त्या कर दी गई. पूरे देश को दहलाने वाले इस जघन्य हत्याकाण्ड को पहले खुले में शौच से जोड़कर बताया गया, मगर गिरफ्तार किए गए हत्यारों में से एक के द्वारा इसे “ईश्वर के आदेश से किए गए राक्षसों के संहार” बताये जाने के बाद प्रदेश में दलितों की भयावह स्थिति सामने आई है.

घटना के बाद माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य अखिलेश यादव तथा दलित शोषण मुक्ति मंच के नेता रामबाबू जाटव की अगुआई में एक दल शिवपुरी जिले के सिरसौद थाने मे पड़ने वाले भावखेड़ी गाँव में पीड़ितों के घर पहुंचा जहां उन्हें और भी भयावह स्थिति देखने को मिली. दल जब एक टूटी झोपड़ी में रह रहे मृतक अविनाश के पिता अति गरीब मनोज के पास पहुंचा तो उसने बताया कि यह कोई अचानक घटी घटना नहीं है. कई दिनों से दबंग यह योजना बना रहे थे कि इलाके में धाक कम हो रही है इसलिए कुछ करना चाहिए, जो होगा उसे मिलकर निबटा लेंगे, और 25 सितम्बर को सुबह 6:30 बजे इन दलित बच्चो की पीट पीटकर हत्या कर दी गई.

पीड़ित परिवारों ने बताया कि इसके पहले रौशनी के साथ छेड़खानी की घटना भी घटी थी जिसकी शिकायत संबंधित परिवारों के मुखिया से की गई थी.
माकपा और डी.एस.एम.एम. के इस दल को जानकारी मिली कि ह्त्या का शिकार बनी कल्ला वाल्मीकि की बेटी रोशनी और मनोज के बेटे अविनाश जब स्कूल में जाते थे तब दोनों को बाकी विद्यार्थियों से दूर अलग ही नहीं बिठाया जाता था बल्कि रौशनी से झाड़ू लगवाई जाती थी और अविनाश से स्कूल का पाखाना साफ कराया जाता था.
प्रतिनिधि मंडल ने आसपास के गांवों के लोगो से भी चर्चा की तो मालूम पड़ा कि इन दलित परिवारों दबंग सार्वजनिक हेण्डपम्प से पानी तक भरने नही देते थे, पानी लेने के लिए उन्हें एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता था.

दोनों ही परिवारों के बीपीएल में होने के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का घर नहीं मिला था. शौचालय बनाने की दरख्वास्त भी सरपंच ने खारिज कर दी थी.
इस नृशंस हत्याकांड के बाद पूरे इलाके में दहशत का वातावरण है. कथित प्रभावशाली लोग हथियारबंद होकर अभी भी धमकियाँ देते हुए घूम रहे हैं. हालात सामान्य बनाने की कोई भी कोशिश प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से नहीं की गई है. जिसके चलते दोनों पीड़ित परिवार गाँव छोड़कर शिवपुरी शहर या अन्यत्र कहीं बसने के बारे में सोच रहे हैं.

गाँव वालों ने बताया कि हत्यारे राजनीतिक रूप से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं
दल की अगुआई कर रहे सीपीएम राज्य सचिवमंडल सदस्य अखिलेश यादव के मुताबिक़ इन हत्याओं के पीछे सामंती सोच के साथ शोषितों और मजबूरों की खुल्लमखुल्ला लिंचिंग का उन्माद और ऐसा करने के बाद आराम से छूट जाने का भरोसा भी है. इस लिहाज से यह कोई अलग थलग घटना नहीं है. यदि तत्काल कड़े कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में इस तरह की वारदातों की पुनरावृत्ति से इंकार नहीं किया जा सकता. उनके अनुसार दोषियों को सज़ा दिलाना परिवर्तन का पहला कदम होगा यह स्कूल से लेकर सामाजिक प्रशिक्षण और समझ सुधारने से होते हुए क़ानून के प्रति डर पैदा करने तक जाएंगे तब ही स्थितियां बेहतर हो पाएंगीं.
प्रतिनिधि मंडल में माकपा राजय सचिवमण्डल सदस्य अखिलेश यादव, दलित शोषण मुक्ति मंच के रामबाबू जाटव, सोहन लाल चौधरी, आर डी चोपड़ा, अनिल खरे शामिल थे. सीपीएम और डीएसएमएम बाकी संगठनो के साथ मिलकर अक्टूबर के पहले सप्ताह में शिवपुरी में धरना-प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.
तथ्य संकलन : बादल सरोज