अमित कुमार निरजन की रिपोर्ट
नई दिल्ली . एक तरफ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो 2022 अंतरिक्ष में मानव भेजने की तैयारी कर रहा है । इसके लिये 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जा रहे है वहीं दूसरी तरफ आज भी देश गटर साफ करते हुए हर साल 100 लोगों मोत हो जाती की राजधानी दिल्ली में ही हाल ही सीवर की सफाई दौरान फिर चार मजदूरों की मौत गई ।
इस संबंध सफाई कर्मचारी आंदोलन के वेजवाडा विल्सन कहते हैं कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान से साफ करने वालों को कोई फायदा नहीं हो । मैग्सेसे पुरस्कार विजेता विल्सन की संस्था दलितों और मैला भेजने की वालों के लिए काम करती है ,कहते हैं कि नियम के तहत इनों सीवर लाइन में की सख्त मनाही है । सिर्फ मशीन ही सफाई का नियम है । लेकिन आज भी बिना किसी सुरक्षा और उपकरण के गटर में उतारा जा रहा विल्सन बताते है कि वर्ष 2000 1760 लोगों की गटर – सीवर साफ करते हुए मौत हो चुकी है यानी औसतन हर वर्ष 971
हमने हर केस पर संबंधित मुख्यमंत्री , मंत्री , राज्यपाल और स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखे हैं । मैं जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर चुका हूँ । लेकिन ऐसे मामलों में आज तक एक भी जिम्मेदार को सजा नहीं हुई है इस पर हमारी संस्था ने केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक कई आरटीआई फाइल की.
एक गटर में हुई मौतों पर सरकार भले ही गंभीर न हो लेकिन आम आदमी । इसे लेकर चिंतित है । पिछले दिनों में सफाईकर्मी अनिल की मौत बाद उसकी और बच्चे का जो फोटो सोशल मीडिया शेयर हुई । उससे हफ्तेभर में ही परिवार के लिए करीब 60 लाख रुपए जमा हो गए.
सफाईकर्मी के होने चाहिए 48 तरह के उपकरण
कानूनन शौचालयों , सीवर लाइन , सेप्टिक टैंक की सफाई किसी इंसान से नहीं करवाई जा सकती जब तक मशीन ऐसा करने में सक्षम न हो । अधिनियम में सफाई कर्मचारी को 48 किस्म के सुरक्षा संसाधन मुहैया करवाने का प्रावधान किया गया है । जिनमें ब्लोअर के लिए एयर कंप्रेसर , गैस मास्क , ऑक्सीजन सिलेंडर , हाथ दस्ताने आदि है , लेकिन इन्हें कुछ भी मुहैया नहीं कराया है ।