दलित विचारक ,चिंतक ,मानवाधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को केन्द्र की मोदी सरकार भीमा कोरेगांव प्रकरण में जबर्दस्ती घसीट रही हैं . उनका किसी केस से कोई लेना देना नहीं हैं .पिछले एक साल से पूरे देश में वकीलों ,लेखकों ,साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है ,छत्त्तीसगढ की सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज सहित दस लोगों को झूठे तथ्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया ताकि वे गरीबो ,आदिवासियों दलितों के हक़ में आवाज़ न उठा सकें.
आनंद तेलतुंबडे जी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाबजूद मुंबई से गिरफ्तार किया गया जिन्हें बाद में पूणे कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद रिहा भी किया गया. केन्द्र एवं महाराष्ट्र सरकार ऊन्होने किसी भी तरह गिरफ्तार करना चाहती हैं ताकि वे दलितों और समाज के लिये काम न कर सकें .
पामगढ में दलित अधिकार अभियान तथा समता मूलक समाज की पहल पर तहसीलदार कार्यालय के समक्ष आज एक धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें वक्ताओं ने केन्द्र तथा महाराष्ट्र सरकार से मांग की गई कि आनंद तेलतुंबडे ,सुधा भारद्धाज तथा अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करे .इस संबंध में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी तहसीलदार को दिया गया.
धरना प्रदर्शन में दलित अधिकार मंच के विभीषण पात्रे .दया राम ,देवेन्द्र ,आमना बेगम चंन्द्र कुमारी लहरे ,महेंद्र दिवाकर ,राजेश दिनकर ,सुशीला बंजारे ,वर्षा मिरी ,रांकी बंजारे ,दुर्गेश रात्रे,सागर दिनकर ,उत्पल कुमार ,राजकुमार पटेल ,शशी लता,प्यारे लाल टंडन ,संतोष यादव ,चैतराम देव खडकर .गायत्री सुमन अधिवक्ता ,रजनी सौरेन अधिवक्ता ,नंद कश्यप तथा डा.लाखन सिंह आदि उपस्थित थे .