छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के ग्राम पोटाली में एक नया पुलिस कैम्प खोला गया है. मंगलवार को चार सौ से ज्यादा जवान कलेक्टर और एसपि के साथ कैम्प स्थापित करने पोटाली गाँव पंहुचे थे. पोटाली के ग्रामीण गाँव में पुलिस कैम्प खोले जाने का विरोध कर रहे हैं. नवभारत में प्रकाशित खबर के अनुसार मंगलवार की दोपहर लगभग एक हज़ार से भी अधिक ग्रामीणों ने कैम्प का घेराव कर उसे वहां से हटाने की मांग की. शाम चार बजे के लगभग हालात तब बेकाबू हो गए जब ग्रामीणों का एक बड़ा हिस्सा कैम्प उखाड़ने के लिए आगे बढ़ने लगा.ग्रामीणों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं. पुलिस ने ग्रामीणों पर पहले लाठीचार्ज किया फिर हवाई फ़ायरिंग की.

पट्टे की ज़मीन पर कैम्प
कैम्प का विरोध करने पहुचे ग्रामीणों का आरोप है कि पट्टे की ज़मीन पर प्रशासन ने कैम्प स्थापित कर दिया है. इसके लिए उन्होंने ज़मीन के मालिक की अनुमति लेनी भी ज़रूरी नहीं समझी. इधर इस मसले पर कलेक्टर ने कहा है कि जिस ज़मीन पर कैम्प स्थापित किया गया है वो राजस्व की ज़मीन है. उस ज़मीन का पत्ता किसी को भी प्रदान नहीं किया गया है.कैम्प का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि वहां तैनात किए गए जवानों में बड़ी संख्या में आत्ममर्पण किए हुए नक्सली हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ये पूर्व नक्सली उन्हें बेवजह परेशान करते हैं और गाँव में लूटपाट मचाते हैं.
इस के स्वतंत्र पत्रकार सिन्हा ने भी अपने फेसबुक पर घटना का वीडियो पोस्ट किया है
अडानी की सुरक्षा के लिए लगाया है कैम्प
सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने फेसबुक पर लिखा है कि इस इलाके में अडानी को लोहा खोद कर बेचने के लिए सरकार ने खदान दी है जिसके खिलाफ आदिवासी लगातार आन्दोलन कर रहे हैं. अडानी को सुरक्षा देने के लिए सीआरपीऍफ़ का कैम्प खोला जा रहा है ताकि कोई अडानी के खिलाफ आवाज ना उठा सके.
मंगलवार को जिस जगह ग्रामीण इकठ्ठा हुए थे सूचना मिली है कि आज भी वहां इकठ्ठा होकर ग्रामीण कैम्प का विरोध कर रहे हैं. हिमांशु लिखते हैं कि कल कुछ मीडिया के साथी वहां मौजूद थे इसलिए विरोध की ये बात बाहर आ पाई लेकिन आज वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है. हिमांशु ने आशंका जताई है कि मीडिया के न होने का फ़ायदा उठाकर पुलिस आदिवासियों पर झूठे इल्जाम लगा कर उनकी रैली पर गोली चला कर आदिवासियों की हत्या भी कर सकती है.
हिमांशु के कहे अनुसार मंगलवार को ग्रामीणों के के विरोध प्रदर्शन में अडानी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाली महिला कवासी हिड़में भी शामिल थी और पुलिस हिडमें को खोज कर मारना चाहती है.
हिमांशु एक अन्य पोस्ट में लिखते हैं कि हर आदिवासी जानता है कि उसके गांव में कैंप खोलने का मतलब है सिपाहियों द्वारा महिलाओं से बलात्कार किया जाएगा, नौजवानों की हत्या करी जायेंगी . हम में से कौन नहीं जानता है कि जंगलों में सुरक्षाबलों को आदिवासियों की रक्षा के लिए नहीं भेजा गया है.
हम में से कौन यह मानता है कि जंगलों में सुरक्षा बलों को जंगलों की रक्षा करने भेजा गया है
हम सब जानते हैं कि जंगलों में सुरक्षा बल खदानों पर कब्जा करने गए हैं
ताकि उसे अदानी अंबानी अदानी जैसे धन पशुओं को सौंपा जा सके
जो आदिवासी जंगलों को बचा रहे हैं
जो आदिवासी समाज पेड़ों को बचा रहा है
जो आदिवासी पर्यावरण को बचा रहे हैं
आपके बच्चों की सांस के लिए ऑक्सीजन को बचा रहे हैं
जो आपके बच्चों के भविष्य को बचा रहे हैं
उनके ऊपर पुलिस और सुरक्षा बल कैसा बर्बर हमला कर रहे हैं
अपनी आंखों से देखिए
और एक क्षण के लिये मंदिर मस्जिद की लड़ाई से अलग हट कर अपने बच्चों की जिंदगी के बारे में सोचिए.
बस्तर क्षेत्र की मानव अधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी ने कहा है कि पुलिस मुझपर हमेशा ये इलज़ाम लगाती है कि मैं गाँव वालों को भड़काती हूं. लेकिन मंगलवार को जब ग्रामीण पोटाली में लगने वाले कैम्प का विरोध करने पहुचे थे तब तो मैं वहां मौजूद ही नहीं थी. सालों से ग्रामीण पुलिस कैम्पों का दमन झेलते आ रहे हैं इसलिए वे खुद ही बिना किसी के कहे ही ये विरोध कर रहे हैं. वे अपने घर, अपने जंगल की रक्षा करने के लिए लिए इकठ्ठा हुए हैं.
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के आलोक शुक्ला ने आज अपने फेसबुक पर खारून नदी में स्नान करते मुख्यमंत्री भूपेश की तस्वीर और पोटाली गाँव के लोगों पीटते जवानों की तस्वीर साथ में पोस्ट करते हुए लिखा है
“संस्कृति और आस्था की दुबकी, जंगल ज़मीन, अस्तित्व और संस्कृति बचाने का संगर्ष. कैम्प बनते गए आदिवासी गाँव उजड़ते गए”
एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने ग्रामीणों को नक्सलियों के बहकावे में नहीं आने की अपील की है. उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने सड़क काट दिया. स्कूल-आश्रम, स्वास्थ्य केंद्र तोड़ दिए। बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया. उन्होंने कहा कि कैंप खुलने से क्षेत्र का विकास होगा. शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पेयजल, सुरक्षा आदि सुविधओं की उपलब्धता होगी. उन्होंने कहा कि रेवाली, नहाड़ी और बुरगुम में भी 31 दिसंबर तक नए कैंप खोले जाएंगे.