41 दिनों के बाद प्रदेश में शराब दुकानें खूलिं तो महामारी कोरोना, सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिग, आपदा प्रबंधन, इतने दिनों के लॉक डाउन का जो कुछ भी हासिल था सबकी ऐसी तैसी हो गई।


आज लॉक डाउन में लम्बी छूट का पहला दिन था. निर्देश थे कि लोग केवल ज़रूरी कामों के लिए ही बाहर निकलें और दिस्टेंसिंग का अनिवार्य रूप से पालन करें. लेकिन लगभग सभी जगहों पर नियमों की धज्जियां उड़ती दिखाई दीं. सड़कों पर जाम लग रहे थे.

शराब बिक्री की छूट ने महामारी संक्रमण के खतरे को बढ़ा दिया है

तार बहार थाने के पास प्रीमियम शराब दुकान पर सिपाही के सामने ही लोग भीड़ लगाए हुए हैं.

प्रदेश में लगभग सभी जगहों पर सुबह 6 बजे से ही शराब खरीदने वालों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी, दुकानें खुलने का समय 8 बजे का था।


सीजी बास्केट की बिलासपुर टीम शहर और आसपास के इलाकों में सोशल दिस्टेंसिंग के पालन का जायज़ा लेने निकली तो चकरभाटा के मुख्या बाज़ार में बेतरतीब नज़र आए.

शहर के कई चौराहों पर आज दिनभर बेतार्बीब वाहनों की आवाजाही रही.






भिलाई दुर्ग में लोग सुबह 5 बजे से लाइन में खड़े थे. दुर्ग जिले में कोरोना के 8 नए मरीज़ मिलने के बाद आनन फानन में शराब दुकान बन्द करने का आदेश जारी करना पड़ा.
शराब को रेवेन्यू के लिए ज़रूरी बताकर सरकार ने इसकी बिक्री की छूट तो दे दी, लेकिन महामारी के इस ख़तरनाक समय में डिस्टेंसिग की धज्जियां उड़ाती ये भीड़ कितनी ख़तरनाक साबित हो सकती है, क्या इसके बारे में सरकार ने बिल्कुल भी नहीं सोचा?
और यदि खतरे को समझने के बावजूद ये निर्णय ले लिए गया है तब तो ये और भी चिंता की बात है. तो क्या सरकार अपने रेवेन्यु के चक्कर में लोगों को महामारी की चपेट में जानबूझकर धकेल रही है.
रेवेन्यु के तो और भी विकल्प हैं लोगों की ज़िन्दगी का विकल्प क्या होगा?