रायगढ ,तमनार / 17.03.2018
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प्रशाशन ने तकनीकि रूप से ठीक् एक महीने पहले गारे पेलमा -2 के लिए प्रभावित गॉंव में 17 अप्रेल को लोक सुनवाई की तारीख की घोषणा कर दी ,प्रभावित गांव के लोग तारीख़ मिलते ही उनमे उत्तेजना और नाराजी भर गई वे लोग पिछले तीन साल से खदान का विरोध.कर रहे हैं , उन्होंने कई बार अपनी ग्राम सभा से इसके खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुके है और कई बार जुलूस और कलेक्टर को अपना विरोध दर्ज भी करा चुके हैं .
26 गांव और 12 ग्राम पंचायत का अस्तित्व खतरे में.
तमनार पहले से ही कोयला खदान की मार झेल रहा हैं ,वही एक बार फिर एक और कोल ब्लाक की तैयारियों शुरू हो गई है . महाराष्ट्र. पावर कोलब्लाक के लोक सुनवाई की तारीख 17 अप्रेल तय हो गई है ,ग्रामीणों को जब मालूम हुआ तब उनके गांव में इसकी सूचना पहुची . यह खदान 12 ग्राम पंचायतों के 26 ग्रामों को पूरी तरह समाप्त कर देगा .
संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ हैं यह कोल ब्लॉक की कार्यवाही .
प्रशाशन शुरु से ही पेसा कानून और वसनाधिकार कानून 2006 के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है ,इन कानूनों के तहत ग्राम सभाओं को प्रदत्त अधिकार की इन्हें कोई परवाह नही है , न तो वनाधिकार कानून के तहत पट्टे की कार्यवाही पूरी हुई है और न ग्राम सभाओं के प्रस्ताव का सम्मान किया जा रहा है .इन्ही गांव के लोग प्रदूषण और बिगड़ते स्वास्थ्य के खिलाफ एन जी टी में भी गसे है और एक जांच रिपोर्ट भी जमा कराई है ,उसकी कार्यवाही भी लंबित है .
चार साल पहले महाराष्ट्र राज्य जेनरेशन को यह ब्लॉक एलाट हुआ था ,लेकिन विरोध के चलते कोई काम शुरू नही हो पा रहा था ,कम्पनी को प्रति वर्ष 2583 हेक्टर पर 23.60 mt कोयला खोदने की अनुमति होगी यह क्षेत्र 12 ग्राम पंचायत के 26 ग्रामों में फैला हुआ है.
तमनार क्षेत्र के लोग पिछले कई साल से गैरकानूनी रूप से भूमिअधिग्रहण और प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं .बार बार ग्राम सभाओं के प्रस्ताव ,आंदोलन, कोर्ट कचहरी और सभी कानूनों का पालन करने के लिए प्रशासन को मेमोरंडम देते रहे लेकिन प्रशाशन किसी कानून को मानने को तैयार नहीं है .
ग्राम सभाओं को निर्देश कि वह कंपनी के पक्ष मे प्रस्ताव पास करे .
प्रशासन ने ग्राम पंचायतों को नोटिस जारी किये हैं कि वो कम्पनी के पक्ष में एन ओ सी जारी करे ,शासन हर हालत में दबाव डालकर खदान शरू करना चाहता हैं . पेसा क्षेत्रों में कलेक्टर किसी पंचायत को कोई निर्देश नही दे सकता ,लेकिन यहाँ तो वह कंपनी की तरफ से काम कर रहा हैं.
लोकसुनवाई का नाटक
17 अप्रैल को लोक सुनवाई की तारीख जरूर तय कर दी गई है और यह सुनवाई परस्पर सरकार के ही कई कानूनों का उलंघन है ,फिर भी ग्रामीनो का अनुभव यही हे कि सुनवाई के दिन हजारों लोगों को (जो उन गांव के भी नही होते ) गाडियों में भर कर ले आते हैं और लाईन मे खडा करके कंपनी की जय जय कार करवा रहते हैं , प्रभावित ग्रामो मे शराब ,पैसा और नाच गाने के लिये पैसा बांटने का काम करते है ,नौजवानों को खेलने के लिये सामान दिये जाते हैं, और सबसे बडी बात यह कि पुलिस का आतंक फैला कर गाँव को प्रभावित किया जाता है .
गांव मे है भारी विरोध ,एक इंच भी जमीन नही देने का संकल्प.
प्रभावित 26 गाँव मे बैठक शुरू हो गई हैं ,13 अप्रेल को बडी रैली और लगातार विरोध करने की योजना हैं ,उन्होंने कहा है कि हम किसी भी हाल में अपनी एक इंच जमीन नहीं देंगे, महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं इस लिए सभी मीटिंग में वही सबसे ज्यादा सक्रिय हैं .
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