प्रोम्थियस प्रताप सिंह , 20 अगस्त उनके स्मृति दिवस पर.
“मंगल, गुरु, शनि निर्जीव हैं, अचेतन हैं । मंगल पृथ्वी से 8 करोड़ किलोमीटर की दूरी पे है तो गुरु तिरसठ करोड़ किलोमीटर पर और शनि तो 128 करोड़ किलोमीटर दूर है। आठ करोड़ किलोमीटर दूर अंतरिक्ष से सूर्य की परिक्रमा करने वाला मंगल पृथ्वी पर आता है और पांच सौ करोड़ जनता में से भविष्य जानने के लिए उत्सुक एक लड़की की कुंडली में बैठकर उसका ‘रास्ता रोको आंदोलन ‘ करता है। तिरसठ करोड़ किलोमीटर दूर से अचेतन गुरु पृथ्वी पर आता है और पृथ्वी पर रहने वाले विशेष छात्रों की पढाई में बाधा डालता है और सवा सौ करोड़ कि. मी. दूर रहनेवाला बेचारा शनि, भारतीय जनता की गर्दन में बैठकर ऊधम मचाता है। यह सब लोगों को उल्लू बनाने का घनघोर षडयंत्र है और कुछ नहीं।
उपयुक्त विस्तृत विवेचना का उद्देश्य बस इतना समझना है कि फलित ज्योतषी अगर कुछ है तो मात्र सपने बेचने की कला है इसे हर व्यक्ति खरीदना चाहता है। मैं सपने बेचता हूँ, ऐसी ईमानदार स्वीकारोक्ति अगर किसी ने की है तो उसे अलग नजर से देखा जायेगा । “
–डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर जी की किताब अन्धविश्वास उन्मूलन विचार का एक अंश।
20 अगस्त उनके स्मृति दिवस पर।