हिमांशु कुमार
झारखंड में तबरेज नाम के एक युवक को बांधकर पीटा गया
उससे जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगवाये गये
वह मर गया
मैं नहीं समझ पा रहा कि अगर कोई मुसलमान जय श्री राम या जय हनुमान बोल देगा तो क्या उससे राम और हनुमान की जय हो जायेगी?
और अगर मुसलमान जय नहीं बोलेगा तो क्या राम और हनुमान हार जायेंगे?
क्या राम और हनुमान की जीत के लिये मुसलमानों का जय बोलना जरूरी है?
क्या राम और हनुमान इतने कमज़ोर हैं कि मुसलमानों के समर्थन के बिना वे हार सकते हैं?
मुझे लगता है कि दरअसल हम भीतर से बहुत कमजोर लोग हैं ?
हम जब पैदा हुए तो हमें मां बाप से एक धर्म मिल गया
इस धर्म को बनाने में हमारा कोई योगदान नहीं है
हमें यह भी नहीं पता पता कि हमारे धर्म की बातें सही हैं या ग़लत?
हम कभी जानने की हिम्मत ही नहीं करते
लेकिन हम खुद को सही साबित करने के लिये यह बताना चाहते हैं कि जिस घर में हम इत्तफ़ाक़ से पैदा हो गये वही दुनिया का सबसे अच्छा धर्म है
और वह अच्छा तभी साबित होगा जब दूसरे धर्म वाला हमारे धर्म के महान होने का सर्टिफिकेट देगा
और दूसरे धर्म वाला अपने ही धर्म को अच्छा मान कर अपने धर्म को सर्टिफिकेट देना चाहता है
तो हम किसी भी दूसरे धर्म के कमज़ोर व्यक्ति को पकड़ कर पीट पीट कर अपने धर्म के लिये एक सर्टिफिकेट बनवाना चाहते हैं
कि तू हमारे राम जी की, हनुमान जी की जय बोल दे तो हमें तेरा सर्टिफिकेट मिल जायेगा कि हमारे भगवान तेरे वाले अल्लाह से ज्यादा महान हैं
और क्योंकि मेरे वाले भगवान तेरे अल्लाह से ज्यादा महान हैं इसलिये हम ज्यादा अच्छे, ऊंचे और सही हैं
और क्योंकि हम सही हैं, इसलिये तुम ग़लत हो
इस तरह दूसरे धर्म वाले को पीट-पीट कर मिले हुए सर्टिफिकेट से हम बिना कोई अच्छा काम किये महान बन जाते हैं
यह एक मूर्खता से भरी हुई, क्रूर और परले दर्ज़े की बेवकूफ़ी की हरक़त है
चिंता की बात यह है कि इस समय जो सत्ता में गुंडे बैठे हैं
वे लोग इस तरह की मारकाट को बढ़ावा देना चाहते हैं
ताकि देश में मुद्दों की बात ग़ायब हो जाये और मेरा वाला धर्म अच्छा, हम अच्छे दूसरे ख़राब वाली होड़ में जनता फंसी रहे
और इस बीच सत्ता में बैठे हुए ये गुंडे लोग पूंजीपतियों के फ़ायदे के लिये काम करते रहें