
कवर्धा. भारत सम्मान समाचार ने छत्तीसगढ़ के कवर्धा ज़िले के क्वारेंटाइन सेंटरों में गर्भवती महिलाओं की स्थिति पर प्रकाशित खबर में लिखा है कि कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लाक अंतर्गत मोहतरा में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को सेंटर में लगभग 70 महिला-पुरुषों को एक ही जगह पर रखा गया है. इनमें तीन गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. जिन्हे भोजन के नाम पर गालियां परोसी जा रही है.
कई मजदूरों का कहना है कि उन्हें खाना दिन में सिर्फ एक बार दोपहर के 12 से 1 बजे के बीच मिलता है. वो भी ठीक से पका नहीं रहता, फिर भी मजबूरी में खाना पड़ता है, क्योंकि 12 घंटे यानी दिन में एक ही बार खाना नसीब हो पाता है. उसके बाद सीधे रात्रि 9 से 10 बजे खाना मिलता है. इलाके के सरपंच भी मजदूरों से बुरा बर्ताव करते हैं कहते हैं खाना है तो खाओ वर्ना ये भी नहीं मिलेगा.
बुधवार की रात को खाने के नाम पर एक मजदूर के साथ कोटवार द्वारा मारपीट की भी घटना सामने आ रही है. जिसके साथ मारपीट की गई उसका नाम रामू / मनहरण है जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। मामला बस इतना है कि रामू ने कोटवार से कहा कि भैया खाना आ गया है तो बांट दीजिए. कोटवार ने खाना नहीं आया है जबकि खाना आ चुका था. गुस्से में कोटवार ने स भूखे मजदूर के साथ मारपीट भी की.
घटना की शिकायत हुई तो पुलिस मौके पर पहुंची तो सही पर उसने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की. न व्यवस्था में सुधार के ही कोई कदम उठाए मजदूरों को अब भी खाना ठीक से मिल रहा है और दुर्व्यवहार भी अब तक जारी है. मजदूरों ने कहा कि इससे तो अच्छा होता कि पुलिस हमें जेल में डाल देती, कम से कम खाना तो भरपेट मिलता रहता.
इस सेंटर में तीन गर्भवती महिलाएं भी हैं. गर्भवती महिलाओं को सामान्य व्यक्ति से ज़्यादा देखभाल और पोषक आहार की ज़रुरत होती हैं. पर कवर्धा के इस क्वारेंटाइन सेंटरों में तो सामान्य व्यक्तिओं को दी जाने लायक भी सुविधाएं नहीं हैं. आखिर मुक्यमंत्री राहत कोष में आए करोड़ों रूपए कहां ख़र्च किए जा रहे हैं. इन ज़रूरी सुविधाओं को प्रदेश सरकार अब तक क्यों नहीं मुहैय्या करा पाई है.
समस्याओं का ढेर लगा हुआ है लेकिन प्रदेश की सरकार अपने में मगन है. ज़मीनी हकीकत से दूर वो इस बात पे खुश है कि एक अखबार की ख़बर में 81 प्रतिशत लोग भूपेश जी से संतुष्ट बताए गए हैं.