9.02.2018
हिमांशु कुमार की रिपोर्ट
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दंतेवाड़ा में एक आदिवासी की लाश एक थाने में पड़ी हुई है
और पुलिस उस आदिवासी के परिवार से जिद कर रही है कि वह इस लाश को ले जाएं
और पुलिस के सर से मुसीबत टल जाए
अब तक ऐसा होता था की इनाम के लालच में
या तरक्की के लालच में पुलिस वाले आदिवासी को मारते थे
और घरवाले डर के मारे चुपचाप लाश ले जाकर जला देते थे या दफना देते थे
लेकिन अब आदिवासियों के सब्र पूरा हो गया और इस बार आदिवासियों ने फैसला किया
कि हम यूं ही चुपचाप लाश लेकर नहीं जाएंगे
इस बार छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने इस मुद्दे पर
सरकार से जोरदार लड़ाई लड़ने और जवाब मांगने का फैसला किया है
दंतेवाड़ा जिले में लोहे की खदान से सटे हुए गांव वेंगपाल में सिपाहियों ने जाकर एक आदिवासी को घर से निकाला
और पेड़ से बांधकर उसे मार डाला
उसके बाद सिपाहियों ने अपने साथ ले गई वर्दी उसे पहनाई
वर्दी की पैंट लंबी थी
इसलिए पैंट को नीचे से मोड़ा गया
आप फोटो मे देख सकते हैं कि पैंट एक तरफ से ज्यादा मुड़ गई है
पैंट दूसरी तरफ से कम मुड़ी हुई है
पुलिस वाले मरे हुए व्यक्ति को बेल्ट पहनाना भी भूल गए
असलियत में तो कोई भी नक्सलाइट बिना बेल्ट की पैंट नहीं पहनता
वरना वह लड़ेगा या अपनी पैंट संभालेगा ?
पैर में जूते भी नहीं हैं
कोई नक्सली वर्दी पहनेगा तो क्या जूते नहीं पहनेगा क्या ?
वर्दी पर गोली के सुराख भी नही हैं
यानी वर्दी हत्या करने के बाद पहनाई गई है
पुलिस ने फोटो खिंचाने के लिये साथ में एक बंदूक और कुछ बिजली का तार साथ में रख दिया
और फोटो खींच कर दावा कर दिया कि हमने एक नक्सलाइट को मारा है
जबकि मारा गया आदिवासी एक किसान है
वह दो बच्चों का बाप है खेती करता है
अपने गांव में रहता है
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