
हसदेव अरण्य क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग (व्यावसायिक उपयोग) हेतु आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन को मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है। इस परियोजना के तहत कोले के खनन का ठेका (MDO) आदित्य बिड़ला समूह को मिला है। इस कोल ब्लॉक के लिए वन भूमि और पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया शासन द्वारा चलाई जा रही है। वन स्वीकृति के लिए प्रस्तावित खनन क्षेत्र में पेड़ो की गड़ना का कार्य वन विभाग द्वारा करवाया जा रहा जिसका प्रभावित गांव मोरगा, धजाक और मदनपुर के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
जंगल मे पेड़ो की गड़ना और ब्लेजिंग का कार्य ततकाल बंद किया जाए। आज इसके विरोध में ग्रामीणों ने कलेक्टर, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम से कोरबा कलेक्टरेट कार्यालय में ज्ञापन सौंपा।

वन अधिकार कानून के मुताबिक इस तरह की कार्यवाही संबन्धित ग्रामसभा की अनुमति के बगैर नहीं की जानी चाहिए। मोरगा, धजाक और मदनपुर के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ग्रामसभा पहले ही इस परयोजना के लिए वनभूमि देने से इन्कार कर चुकी है। हसदेव अरण्य के इलाकों में लंबे समय से चल रहा ग्रामीणों का आंदोलन ग्रामसभा कि इस असहमति और इन्कार का जगज़ाहिर प्रमाण है। ग्रामसभा की अनुमति न होने की ये बात किसी से भी छुपी नहीं है लेकिन सरकारी महकमा नियमों को ताक पर रखकर पेड़ों को काटने के लिए उनकी गिनती कर रहा है। ग्रामीणों ने इस गणना कारी का विरोध किया है।
हासदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के उमेश्वर सिंह अर्मो ने विज्ञप्ति जारी कर मीडिया को इस बात की जानकारी दी औ बताया कि ग्रामीणों ने कहा कि वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत ग्रामसभा की सहमति बिना किसी भी वन भूमि को गैर वन भूमि अर्थात व्यपवर्तन नहीं हो सकता। हमारी ग्रामसभा विधिवत रूप से कोल ब्लॉक आवंटन, भूमि अधिग्रहण और वन स्वीकृति का विरोध प्रस्ताव पहले ही शासन को दे चुकी है। फिर वन विभाग द्वारा यह कार्य गैरकानूनी हैं।