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दंतेवाड़ा जिले में बुधवार की सुबह हुई इस मुठभेड़ का महिला कमांडो भी थीं हिस्सा .

जगदलपुर . जिस गोंडेरास मुठभेड़ को दंतेवाड़ा पुलिस अपनी सफलता बता रही है , उसके बाद बनी स्थिति को लेकर वहां के ग्रामीणों में नाराजगी है । दरअसल वहां के ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि मुठभेड़ के बाद जवानों ने उनसे मारपीट की और कुछ ग्रामीणों को अपने साथ ले गए । उनका कहना है कि मुठभेड़ के बाद जवानों का दल उनके गांव पहुचा और उनके यहां महिलाओं और बुजुर्गों से मारपीट की गई । अब नाराज ग्रामीण इसके लिखाफ ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करने की बात कह रहे हैं । उनका कहना है कि वे मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से करेंगे । गौरतलब है कि दंतेवाड़ा जिले में पहली बार इस ऑपरेशन में महिला कमांडों ने भाग लिया था । फिर भी ग्रामीणों से मारपीट की बात सामने आ रही है । ग्रामीणों का कहना है कि बुधवार की सुबह एक से दो गोली चलने की आवाज आई थी । इसके कुछ देर बाद बड़ी संख्या में जवानों का दल उनके गांव में पहुंचा । ग्रामीणों पर माओवादियों का साथ देने का आरोप लगाते हुए मारपीट शुरू कर दी मारपीट देख काफी लोग जंगल की तरफ भाग गए लेकिन गांव के करीब 30 लोग पुलिस की पकड़ में आ गए और उनके साथ जवानों ने जमकर मारपीट की और कई लोग को अपने साथ भी ले गए हैं । ग्रामीणों का कहना है कि वे हिरासत में लिए ग्रामीणों को छोड़े ।
पहली बार ज्यादती पर प्रस्ताव होगा पारित ।
बस्तर में पहली बार ऐसा होगा कि किसी मुठभेड़ के बाद ग्रामीणों से हुई मारपीट के बाद नाराज ग्रामीण ग्रापं में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगे । दरअसल पांचवी अनुसूची
क्षेत्र होने के चलते बस्तर में ग्रामं का महत्व काफी बढ़ जाता है । ऐसे में इस प्रस्ताव को मानव अधिकार जैसे मंच पर लेकर जाने से सरकार की किरकिरी हो सकती है ।
मारपीट की बात झूठी , 13 ग्रामीणों को पूछताछ के लिए लाया गया था , उन्हें छोड़ दिया गया है
इधर , घटना को लेकर जब एसपी अभिषेक पल्लव से वत की गई तो ‘ उन्होंने बताया कि ग्रामीणों से मारपीट जैसी कोई बात नहीं हुई है । दरअसल इस मुठभेड़ में माओवादियों का बड़ा नुकसान हुआ है । इसलिए वे लेग इस तरह की बात फैला रहे हैं । इलाके से घटना के बाद 13 ग्रामीणों को लाया गय था । पूछताछ के बाद गुरुवार की रात ही इन्हें छोड़ दिया गया है ।
सोनी सोढ़ी ने कहा अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार के पास जाएंगे
इधर मामले की जानकारी सोनी सोढ़ी को लगते ही वह शुक्रवार को गोंडेरास पहुंची । यहां ग्रामीणों से बात की और उन्होंने कहा कि यहां के ग्रामीण काफी डरे हुए हैं । मारपीट की बात उन्होंने तफ्सील से बताई । इसलिए उन्होंने फैसला लिया है कि ग्राम सभा लगाकर इस मारपीट के । खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जाएगा और इस प्रस्ताव को लेकर वे अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार के पास जाएगी और लिखित में जानकारी देंगी । साथ ही उन्होंने दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया है ।

ग्रामीणों को छोड़ने 48 घंटे का समय
गोंडेरास ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने जिन लोगों को हिरासत में लिया हैं । उन्हें तत्काल छोड़ा जाए । इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को 48 घंटे का समय दिया है । यदि इसके बाद भी गांव के लोगों को छोड़ा नहीं जाता तो वे सड़क पर । उतरकर इसका विरोध करेंगे । ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस व सरकार की लड़ाई माओवादियों से है , या फिर उनसे । उन लोगों को यह बात समझ नहीं आ रही । ग्रामीण बताते हैं कि वे माओवादी और पुलिस दोनों के उत्पीड़न से परेशान हो गए हैं । वे शांति चाहते हैं ।
इधर , मारी गई महिला माओवादी राधा रैंगो का शव लेने दो परिवार के लोग पहुंचे ।
जगदलपुर , दंतेवाड़ा के गोंडेरास में महिला कमांडों के हाथों मारी गई । महिला माओवादी की पहचान शुक्रवार को पुलिस ने राधा रेंगो के नाम से की । हालांकि इसकी के पहचान में भी पुलिस को काफी इर मशक्कत करनी पड़ी क्यों कि शव को लेने बीजापुर के बासागुड़ा और दंतेवाड़ा के फूलबगड़ी इलाके से दो परिवार पहुंचा था ।
लेकिन बासागुड़ा से परिवार ने पैर और मुंह के चिंह पहचान कर कंफर्म किया कि मारी गई महिला राधा रेंगो उनके परिवार की है । वहीं फूलबगड़ी परिवार के लोगों का न कहना है कि उन्हें भी सूचना मिली के थी कि उनके परिवार की लड़की की भी इस मुठभेड़ में मौत हुई है , इसलिए वे यहा आए थे ।
मृतका की पहचान भले राधा के नाम से कर ली हो लेकिन पुलिस अभी भी माओवादी संगठन में उसके पद की तफ्तीश में जुटी हुई है । शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के सामने पुलिस ने मृतिका का शव परिवार ‘ वालों को सुपुर्द किया .
सामाजिक कार्यकर्ता लिंगाराम कोडोपी का कहना है कि मैं और सोनी सोरी व पत्रकार पंकज भदौरिया के साथ इस घटना की मुआयना करने के लिए गोडेरास ग्राम पहुंचे। गाँव के ग्रामीणों के साथ मिलने पर गांव के ग्रामीणों ने कई आरोप पुलिस प्रशासन पर लगाये हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस का माओवादियों के साथ मुठभेड़ झूठा है, माओवादी गाँव में डेरा व केम्फ लगाकर रुके हुए हैं यह बात गाँव के ग्रामीणों को पता नहीं था।गाँव के ग्रामीणों का यह भी कहना है, कि दो बार गोली चलने की आवाज आयी हैं तो मुठभेड़ कैसे हुई? माओवादी को मारे तो मारे साथ-साथ गाँव के दर्जनों आदिवासी भाई बहनों को बेरहमी से पिटाई किया। मार पीट में बुजुर्ग महिला, बूढ़े, यहाँ तक की बच्चों की माँ तक को नहीं छोड़ा।
गाँव के ग्रामीणों का कहना हैं कि लड़ाई माओवादियों के साथ हैं फिर गाँव के लोगों के साथ मार पीट करने का क्या अर्थ हैं? क्या सारे गाँव के लोग माओवादी हैं? अगर गाँव के सारे ग्रामीण माओवादी हैं तो सभी को जेल भेजना चाहिए माओवाद के नाम पर मार पीट व हत्या क्यों?
इस मार पीट को लेकर गाँव के ग्रामीणों में कल पुलिस प्रशासन के प्रति बहुत आक्रोश दिखा। इस गाँव के साथ साथ पूरे क्षेत्र में महा रैली करने की तैयारी हैं। रैली के साथ साथ राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग व पेसा कानून, वन अधिकार कानून के तहत लड़ने की तैयारी हैं।