अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छत्तीसगढ़ किसान सभा के बैनर तले एसईसीएल गेवरा प्रोजेक्ट अंतर्गत पुनर्वास ग्राम गंगानगर में जिले के सभी सार्वजानिक व निजी संस्थानों से प्रभावित और विस्थापित किसानों का महासम्मेलन का आयोजन किया गया । महासम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री बादल सरोज ने कहा कि आजादी के बाद भी देश के किसानों की दशा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है बल्कि और ज्यादा खराब हुआ है । उन्होंने पिछले दिनों किसानों के संगठित आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि जहां पर भी किसानों ने एकजुटता के साथ संघर्ष किया गया वहां जीत मिली है वहां पर जमीन वापस हुयी है और मुआवजा भी दिया गया है । कोरबा में विस्थापन की बड़ी समस्या है इसके लिए संघर्ष ही एकमात्र रास्ता है ।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष श्री संजय पराते ने अपने संबोधन में बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक संसाधन की लूट मची है । जो भी सरकारें आयी उसने किसानों की परवाह करने के बजाय उद्योगपतियों की दलाली का काम ही किया । प्रदेश और केंद्र की पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब हुआ है । बस्तर में किसानों की लंबी लड़ाई से टाटा द्वारा अर्जित जमीन किसानों को वापस करना पड़ा है उसी तर्ज पर दूसरे स्थानों पर जमीन वापस कराने के लिए संघर्ष को मजबूत करना होगा ।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि सब संघर्षशील संगठनो को एक दूसरे के साथ सहयोग कर समस्याओं से मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ने की जरूरत है । सपुरन कुलदीप ने महासम्मेलन आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि देश और समाज के विकास की आहुति में बलिदान देने वाले कोरबा के किसानों को विस्थापन का दंश ही मिला है उनकी विकास के बजाय विनाश किया गया है जल ,जंगल, और जमीन के मालिकों को भिखारी बना दिया गया है । रोजगार पुनर्वास और उचित मुआवजा ही नहीं पानी,बिजली सड़क जैसी बुनियादी जरूरतों की सहूलियत नहीं मिला है उनकी शिक्षा ,चिकित्सा ,खेल मनोरंजन आदि की बात तक भी नहीं की जाती .
जिला खनिज निधि का बंदरबाँट के कारण विस्थापित परिवारों को ही लाभ नही दिया गया । अधिग्रहित जमीन की वापसी सहित प्रभावित-विस्थापित किसानों की सही विकास की मांग को सामने लाना मकसद है । महासम्मेलन का संचालन प्रशांत झा और सुराज कंवर ने किया जबकि इस अवसर पर एस एन बनर्जी, धनबाई कुलदीप, लता देवी कंवर ,प्रेम सिंह कंवर , शुकवारा बाई ,सावित्री चौहान,जनकदास कुलदीप, राधेश्याम कश्यप ,रूद्र दास महंत,प्रकाश कोर्राम आदि ने भी भुविस्थापितो की मांगों को रखा ।
सम्मेलन के आखिर में सर्वसम्मति से 12 सूत्रीय मांगों का प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें अतिरिक्त अधिग्रहित जमीन की वापसी , पुनर्वास ग्रामो का समुचित विकास और काबिज जमीन का मालिकाना हक देने तथा तोड़फोड़ की कार्यवाही बंद करने, नए व पुराने लंबित मामलों में वाजिब रोजगार,मुआवजा और पुनर्वास देने ,स्थानीय बेरोजगारों को वैकल्पिक रोजगार उपलबद्ध कराने , भुविस्थापित प्रमाण पत्र जारी करने , भुविस्थापितो को 80% आरक्षण देने , केंद्रीय डी ए वी आदि स्कूलों में भुविस्थापित पुत्रो को निःशुल्क शिक्षा देने, भुविस्थापितो निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने ,शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के वनभूमि का वन्य मान्यता कानून के तहत अधिकार पत्र देने की मांग शामिल है ।
इन मांगों को लेकर पहले चरण में आगामी 15 दिनों में गंगानगर से कोरबा कलेक्टर कार्यालय तक पदयात्रा कर मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौपने और तत्काल कार्यवाही नहीं होने पर दूसरे चरण में रायपुर तक पदयात्रा कर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का निर्णय लिया गया है । सम्मेलन के अंत में भानुप्रतापसिंह कंवर ने आभार व्यक्त करते हुए समापन की घोषणा किया ।