रायगढ़ जिले के पाँच विधानसभा में पांचों विधायक कांग्रेसी हैं तथा राज्य मे पूर्ण बहुमत के साथ सरकार भी कांग्रेस की है। एक तो केबिनेट मंत्री भी हैं।ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अब रायगढ़ प्रदूषण मुक्त जिला बनेगा?क्या रायगढ़ का भविष्य संवरेगा?क्या रायगढ़ का समुचित विकास हो पायेगा?

सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह स्पष्ट मानना है कि यह एक स्वर्णिम अवसर है ।जब पांचों विधायक एक ही दल के हैं और सरकार भी उन्हीं की है। ऐसे में एक साथ मिलकर प्राथमिकता के आधार पर जन समस्याओं के समाधान और रायगढ़ जिले के समुचित विकास की योजनाओं को मूर्तरूप देकर एक स्वर्णिम इतिहास रचा जा सकता है।इसके लिए सही सोच,इच्छा शक्ति, और जनहित की भावनाओं का होना आवश्यक है।तथा जनसंगठनो, सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं व प्रबुद्ध जनों के साथ सतत संवाद व विचार विमर्श का होना अतिआवश्यक व महत्वपूर्ण है।
रायगढ़ जिला प्रदूषण की खतरनाक परिस्थितियों से गुजर रहा है।जीवजगत के लिए डेंजर ज़ोन बन चुका है।यह शनैःशनैः मुक्त शमशान में तब्दील होता जा रहा है।श्वांस,दमा,लिव्हर, हृदय, एवं केंसर जैसे जानलेवा रोगों की शिकायतें आम होती जा रही है।तथा इससे मरने वालों की संख्या में लगातार चिन्ताजनक इज़ाफ़ा हो रहा है।
वैज्ञानिकों, चिकित्सकों पर्यावरण विदों एवं जनसंगठनों का स्पष्ट मानना है कि वायु खतरनाक स्तर से कई गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है जनता को मास्क लगाना जरूरी सा होता जा रहा है।पांचों विधायकों, जिला कलेक्टर, एवं सरकार को गंभीर होने की सख्त जरूरत है। सवाल यह है कि आने वाली पीढ़ी व बच्चों को हम कैसी खतरनाक विरासत सौंप रहे।
यह प्रदूषण कई प्रकार से है औद्योगिक रसायन, अपशिष्ट एवं फ्लाई एस , नगर निकाय के (आवासीय) उत्सर्जित अपशिष्ट,
ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम का न होना ,परिवहन, कोल माइन्स, कोल कॉरिडोर से उत्पन्न प्रदूषण प्रमुख हैं। वायु के साथ साथ जल प्रदूषण भी गहराता जा रहा है। प्रकृति द्वारा समाज को निः शुल्क प्रदत्त वायु और जल भी लोगों को शुद्ध नहीं मिलेगा तो लोग कैसे जियेंगे? शुद्ध वायु और जल जनता को उपलब्ध कराना सरकार की मूलभूत संवैधानिक ज़िम्मेदारी है। दुर्भाग्य से अभी तक सरकार का रवैया गैर ज़िम्मेदाराना रहा है।
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा ने लगातार विभिन्न आन्दोलनों ज्ञापनों, लेखों, चर्चाओं, वार्ताओं के माध्यम से विगत 25 वर्षों से सरकार को प्रदूषण की समस्याओं और उसके दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए पर्यावरण संरक्षण की मांग करते रही है।सरकार ने छोटे मोटे औपचारिक कार्यवाही कर जिम्मेदारियों से हमेशा मुंह मोड़ा है।इससे सरकार,औद्योगिक घरानों,राजनेताओं के उच्च स्तरीय सांठगांठ की बू आती है।जो पूर्णतः अमानवीय एवं आपराधिक कृत्य है।लोगों का गुस्सा काफी बढ़ता जा रहा है।
जनसंगठनों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रबुद्ध नागरिकों, पत्रकारों एवं मीडिया के साथियों द्वारा बार बार प्रदूषण की भयावहता से सरकार को अवगत कराया गया उसके बावजूद सरकार ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया।अब तो यह खतरा बहुत बढ़ गया है। लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है।पूरा जीवजगत संकट में है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?क्या जिला प्रशासन, कलेक्टर, जनप्रतिनिधी विधायक, सांसद मंत्री और औद्योगिक घराने नहीं है? सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ जाएगा तो ऐसे विकास का क्या करेंगे?
प्रदूषण के साथ साथ बहुत से सवाल है जिस पर गंभीरता पूर्वक,ईमानदारी व निष्ठा के साथ कार्य करने की जरूरत है।अब चूंकि रायगढ़ जिले के सभी पांचो विधायक एक ही दल के हैं सरकार भी उनके ही दल की है तब रायगढ़ के समुचित सही विकास की उम्मीदें ज्यादा बढ़ जाती है।और यह सवाल भी ज्यादा मुखर और महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या अब रायगढ प्रदूषण मुक्त जिला बन पाएगा?रायगढ़ का भविष्य संवर पायेगा या नहीं।?

गणेश कछवाहा ,पर्यावरण विद् और ट्रेड यूनियन लीडर.
