इसिलिये यह संघी आज़ादी के आन्दोलन के खिलाफ अंग्रेजो के साथ खड़े थे इन्हे सबकी आज़ादी से विरोध है
,इन्होने कबीर तक को नहो पढ़ा, नहीं तो वे जानते की कबीर से बड़ा आज़ादी का पक्षधर कोई हुआ ही नहीं है
,इन्हें महिलाओ ,दलितों ,आदिवासियों की आज़ादी से तकलीफ है ,उन्हें लगता है कि९ वे जन्म जात सत्ता के लिया पैदा हुए भाई और अंतिम समय तक सत्ता में रहेंगें . .