छतीसगढ़ बनने के समय से शिवनाथ नदी के निजी उध्योगपति को एक रूपये सालाना शुल्क पर 23 किलोमीटर क्षेत्र सोंपने का विरोध होता रहा है.जन संगठनो से लेकर सभी प्रमुख राजनैतिक दल समय समय पर इसका विरोधी करते रहे है.अजीत जोगी ,रमन सिंह दोनों मुख्यमंत्रीयों ने सैद्धांतिक रूप से जरूर इसका विरोध किया और विधानसभा में भी घोषणा लेकिन हुआ कुछ नही.

कांग्रेस से भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर नदी को पट्टे पर दिए जाने के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग की है .और कहा है कि कांग्रेस इस अनुबंध विरोध करती रही है । लोकलेखा समिति की अनुशंसा के बाद भी कार्रवाई नहीं होना गंभीर मसला है । अभी मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी है । उनसे मुलाकात कर सख्त कार्रवाई की मांग करुंगा । देवेंद्र यादव के मुताबिक तत्कालीन अफसरों ने गलत तरीके से एक निजी कंपनी को एनिकट बनाकर उद्योगों को जल आपूर्ति के लिए नदी को लीज पर दिया है ।
छतीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला कहते हैं कि इस मामले में विधानसभा की लोकलेखा समिति ने मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के तत्कालीन प्रबंध संचालक गणेश शंकर मिश्रा को जिम्मेदार ठहरा चुकी है । पूर्ववर्ती सरकार में रसूखदार अफसरों में शुमार मिश्रा , 2017 में प्रमुख सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सहकारिता निर्वाचन आयोग का आयुक्त बनाया गया है । मुख्यमंत्री रहते हुए अजीत जोगी ने भी रेडियस वॉटर के साथ हुए करार को खत्म करने की घोषणा की थी , लेकिन ऐसा किया नहीं जा सका 15 साल रही भाजपा सरकार में भी जब – तब यह मसला उठता रहा , लेकिन कभी कार्रवाई नहीं हुई । 1998 में हुआ यह करार अक्टूबर 2020 में खत्म होगा ।
मामले में सहकारिता निर्वाचन आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नंबर 9425207745 पर फोन और एसएमएस करने पर भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया .

कैसे बिकी शिवनाथ नदी
जानकार बताते हैं कि संयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1996 में दुर्ग के बोरई स्थित कुछ कारखानों ने रायपुर के औद्योगिक विकास केंद्र को रोजाना 24 लाख लीटर पानी की जरूरत बताते हुए मांग भेजी मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम इस शर्त पर पानी देने के लिए राजी हो गया कि निजी कंपनी शिवनाथ नदी पर एनिकट बनाकर उसका संचालन करेगी दो साल की बातचीत के बाद 1998 में एमपीआईडीसी ने रेडियस वॉटर लिमिटेड के साथ बिल्ट , ऑपरेट एंड ट्रांसफर नीति के तहत करार कर लिया । कंपनी ने महमरा गांव में एनिकट बनाया । उसके लिए नदी के 23 किमी हिस्से पर गांव वालों की निस्तारी तक रोक दी गई । हंगामा और आंदोलनों के बाद निस्तारी से रोक हटी लेकिन अनुबंध जारी रहा ।
सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव बीकेएस रे का कहना है कि
अगर किसी निजीव्यक्तिको अवैध लाभ पहुंचाने के लिए अनुबंध हुआ है तो उसपर कभी भी विचार हो सकता है । जिन लोगों ने ऐसा किया है उनपर कार्रवाई होनी चाहिए । शिवनाथ नदी लीज मामले के जिम्मेदार रिटायर हो चुके होंगे । कारवाई तो हो सकती है लिए अनुबंध हुआ चार हो सकता लकिन सेवा नियमावली के हिसाब से करनसेवानिवृत्तिकै चारवर्षों के भीतर सा मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है । आपराधिक मामलों में तो कोईसमय – सीमाहीनहीं है । यह जब सामने आए कार्रवाई होनी चाहिए ।
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