अनुभव शौरी की रिपोर्ट
अंतागढ़ मे स्थित कलगाँव के ग्रामवासियों ने स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन त्यौहार के अवसर पर अपने गाँव के झुड़पी जंगल को बचाने के लिये गाँव के जंगल मे ”पटेल कट्टा टिकरा” स्थित भूमि पर गाँधीजी और बाबा साहब अम्बेडकर को नमन करते हुए ध्वजारोहण किया, पश्चात् झुड़पी जंगल में साल, महुआ, चार, तेन्दु के वृक्षों को राखी बाँध कर गाँव के जंगल को बचाने का संकल्प लिया ।

कलगाँव के रामकुमार दर्रो ने बताया कि यह वही भूमि है जो कि सरकार ने टाउनशिप बनाने के लिये भिलाई स्टील प्लांट को “अदला-बदली” की गैर कानूनी प्रक्रिया के तहत हस्तांतरित किया है। श्री दर्रो ने बताया कि गाँव वालों को टाउनशिप का विरोध नहीं है, परन्तु जो भूमि टाउनशिप के लिये चिन्हांकित की गई है, उसके हस्तांतरण का घोर विरोध करते है, क्योंकि वह भूमि गाँव का एकमात्र जंगल है, जहाँ आदीवासी लोग लघु वनोपज एकत्रित करते हैं, गाँव के सारे पशु चरते हैं, और 28 गरीब परिवार यहाँ पर कई पीढियों से खेती कर अपने परिवारों को पालते हैं ।

आदीवासी किसान हृदयराम गावड़े ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि जिस भूमि का हस्तांतरण किया गया है, उस पर आदीवासी किसान कई वर्षों से आजिविका के लिये निर्भर है। वे लगातार अपने कब्ज़े की ज़मीन पर विधिवत् रूप से अधिकार प्राप्त करने के लिये आवेदन कर रहे हैं, परन्तु झुड़पी जंगल होने पर भी ग्रामीणों को वन अधिकार मान्यता कानून के अन्तर्गत प्राप्त अधिकारों से वंचित रखा गया, और इनकी ज़रूरतों को अनदेखा कर, सरकार ने यह भूमि कम्पनी को जोर जबरदस्ती दे दी है।
ग्राम कलगाँव संविधान की पाँचवी अनुसूचि में आता है और पेसा कानून के अंतर्गत किसी भी परियोजना हेतु जमीन लेने के पूर्व ग्राम सभा की सहमती अनिवार्य है। इसके साथ ही वन अधिकार मान्यता कनून 2006 की धारा 4 उपधारा 5 एवं केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 30 जुलाई 2009 के आदेश अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसकी काबिज वनभूमि से बेदखल नही किया जा सकता जब तक उसके वन अधिकार की मान्यता की प्रक्रिया समाप्त नही होगी। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त दोनों कानूनों का घोर उल्लंघन कर, बिना ग्राम सभा की सहमति के यह जमीन “अदला-बदली” के नाम पर छीनी गई है।
यह अदला बदली की प्रक्रिया अपने आप में गैर कानूनी है। इसके अन्तर्गत भिलाई स्टील प्लांट ने राज्य शासन को दुर्ग जिले में भूमि दी है, जिसके बदले में उन्हें कलगाँव और अन्य गाँवों मे भूमि दी जा रही है। किन्तु सामान्य भूमि के बदले में संविधान की पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत क्षेत्र की भूमि को देना असंवैधानिक है और अनुच्छेद 244 के सिद्धान्तों के विपरीत है। छत्तीसगढ़ की भू राजस्व संहिता में भी भूमि के विनिमय का प्रावधान केवल कृषि प्रयोजन के लिये है – और वह भी आस-पास के गाँव में जो कि एक ही जिले में या एक ही संभाग में हो, और जिससे कृषकों की भूमि की चकबन्दी में सहायता मिले । दो विभिन्न संभागों में इस प्रकार की भूमि का औद्योगिक या अन्य प्रयोजन के लिये अदला बदली का कानून में कोई प्रावधान नहीं है। इस अदला बदली से ग्रामवासियों को कोई सुविधा या लाभ उप्लब्ध नहीं है और ग्राम सभा की सहमति के बिना यह हर रूप में गैरकानूनी है।
अपनी भूमि और अपने जंगल को दूसरों के कब्ज़े से बचाने के लिये आज के ध्वजारोहण कार्यक्रम में सुकालूराम गावङे, मेहतुराम गावङे, दिलीप पोटाई, प्रकाश दुग्गा, महेश कोरेटी, मनीष गावङे, हृदय गावड़े , लकेश ,श्रीमती सुक्को बाई, शीला बाई, बुल्ली बाई, श्याम बाई, सामदेव, प्रदीप दर्रो, रामकुमार दर्रो, खोरिन बाई गावङे अपने परिवारों के साथ शामिल थे। उसके बाद परिवार के सभी महिलाए एवं बच्चों ने जिसमे सुक्को बाई, खोरिन, कु मोनिका, मन्दाकिनी, प्रियका, रिंकी, सन्तोषी, सलेन्द्री,चन्द्रीका, मयाबत्ती, सनिता, गावङे थे – सभी ने मिलकर अपने खेतों के साल, महुआ, चार, तेन्दु वृक्षो को राखी बाँधकर रक्षा बंधन मनाया ।