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24 अप्रैल को भोपाल जेल में सिमी आरोप में बंद विचाराधीन कैदियों के परिजन ने राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोग को शिकायत दिया था कि ‘भोपाल एनकाउटर’ के बाद इन कैदियों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। परिजन द्वारा दिए गए विवरण “टार्चर” के परीभाषा में आता है. परिजनों के शिकायत के साथ देश के कई मानव अधिकार संगठन- PUCL , Peoples’ Watch, NCHRO, Quill Foundation JTSA ने भी आयोग को इस मामले में त्वरित कार्यवाही करने की मांग की थी.
आयोग ने मामले का तुरंत संज्ञान लेते हुए DIG को SSP स्तरीय अधिकारी के अध्यक्षता वाले एक टीम को जांच के लिए आदेशित किया था. यह टीम 19 जून को भोपाल पहुँच रही है.
इस बीच ‘जम्हूरियत और इंसानियत हक़ में हम सब मध्य प्रदेश’ से जुड़े प्रदेश के कुछ वकील, बुद्धिजीवी और संगठनों ने मुख्य मंत्री पर पत्र लिख कर अपनी चिंताएं व्यक्त कर मांग किया है कि ” भारत द्वारा मानव अधिकार-संबंधी हस्ताक्षरित अंतर्राष्ट्रीय संधियों,विचाराधीन कैदियों के साथ अमानवीय,अपमानजनक, व क्रूर व्यवहार के खिलाफ़ माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों,जेल कानून तथा सभ्य लोकतांत्रिक देश के मानवीय मूल्यों के मद्देनज़र हर कैदी की बुनियादी ज़रूरतों, सुरक्षा और उनका अपने धर्म का पालन करने का मौलिक अधिकार बरकरार रहे। …
अतः आप इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें ताकि न्यायलय के फैसले के पहले शासन-प्रशासन इन कैदियों को गुनहगार ना ठहराए और ना ही उन्हें गैर-कानूनी सज़ा दे बल्कि उन्हें जेल में भारत के संविधान और विधान के अनुसार निष्पक्ष कानूनी व्यवस्था दे…
सबसे महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा इस मामले में भेजे जा रहे विशेष जांच-पड़ताल दल के मद्देनज़र जेल प्रशासन हर तरह से ऐसा समर्थक माहौल बनाए और मदद करे ताकि निष्पक्ष जांच-पड़ताल संभव हो व हकीकत न्यायालय और जनता के सामने आ सके। यह एकदम ज़रूरी है कि जब आयोग की टीम कैदियों से बातचीत करे तब जेल समेत प्रशासन का कोई भी अधिकारी या प्रतिनिधि वहां मौजूद नहीं हो ताकि कैदी अपने मन की बात बेखौफ़ कह सकें।”
उन्होंने यह भी लिखा है कि “जेल व्यवस्था का सुधारात्मक पक्ष उसके दंडात्मक पक्ष की तुलना में ज़्यादा मजबूत होने से सामाजिक सुरक्षा पुख़्ता होती है ” .
गौरतलब है कि परिजन के शिकायत के मुताबिक कैदियों को गैरकानूनी रूप से एकांत परिधि ( solitary confinement ) में रखा जा रहा है, उनके साथ पीट किया जा रहा है और इस्लाम विरोधी नारे लगवाने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्हें न पेट भर भोजन दिया नहीं दिया जा रहा है और नहाने-धोने और पीने के लिए दिन भर में मात्र एक बोतल पानी दिया जा रहा है. बीमार कैदियों का इलाज नहीं किया जा रहा है. परिजनों को और वकीलों को ठीक से कैदियों को मिलने नहीं दिया जाता है.
मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया .
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