हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले परसा कोल ब्लॉक खनन परियोजना को रद्द करने की मांग के साथ सूरजपुर ज़िले के ग्राम तारा में सैकड़ों की संख्या में अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन पर बैठे ग्रामीणों के आन्दोलन का आज दूसरा दिन है.

धरना प्रदर्शन में उपस्थित सूरजपुर, सरगुजा व कोरबा के प्रभावित ग्रामीणों का कगना है कि अडानी की परसा कोल खनन परियोजना के लिए नियमविरुद्ध ही ग्रामसभा की अनुमति के बिना भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है. इतना ही नहीं पर्यावरण स्वीकृति भी फ़र्ज़ी ग्रामसभा के ज़रिये पास करा ली गई है.
धरना प्रदर्शन में मौजूद ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत ग्रामसभा की सहमती पूर्व एवं वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया ख़त्म किए बिना दी गई वन स्वीकृति को निरस्त किया जाए.
हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा, पतुरिया गिदमुड़ी, मदनपुर साऊथ कोल खनन परियोजनाओं को निरस्त किया जाए एवं परसा ईस्ट केते बासन के विस्तार पर रोक लगाई जाए.
पेसा कानून 1996 एवं भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा (41) के तहत ग्रामसभा सहमती लिए बिना परसा कोल ब्लॉक हेतु किए गए जमीन अधिग्रहण को निरस्त किया जाए.
वनाधिकार मान्यता कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों को मान्यता देकर वनों का प्रबंधन ग्रामसभाओं को सौंपा जाए.
हसदेव अरण्य के जंगल से जुड़ी आदिवासी एवं अन्य ग्रामीण समुदाय की आजीविका व संस्कृति वन क्षेत्र में उपलब्ध जैव विविधता, हसदेव नदी एवं बांगो बांध के केचमेंट, हाथियों का रहवास क्षेत्र एवं छत्तीसगढ़ व दुनिया के पर्यावरण महत्ता के कारण इस सम्पूर्ण क्षेत्र को खनन से मुक्त रखते हुए किसी भी नए कोल ब्लॉक का आवंटन न किया जाए.
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि “पूरे सरगुज़ा इलाके में वनाधिकार के हालात बेहद ख़राब हैं. मनमाने तरीके से नियम कायदों का उल्लंघन चल रहा है. तीनो अभ्यारण्यों में विस्थापन की तलवार लटकी है. खनन परियोजनाओं से लोग परेशान हैं.”